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शृङ्गारन्लोकाः ।
नूनं हि ते कविवरा विपरीतबोधा
ये नित्यमाहुरबला इति कामिनीनाम् ।
याभिर्विलोलतरतारकदृष्टिपातैः
शऋादयोऽपि विजिता अबलाः कथं ताः ॥ ११८ ॥
उदृत्तस्तनभार एष तरले नेत्रे चले भ्रूलते
रागाधिक्यतमोष्ठपल्लवदलं कुर्वन्तु नाम व्यथाम् ।
सौभाग्याक्षरपङ्किकेच लिखिता पुष्पायुधेन स्वयं
४७
मध्यस्था हि करोति तापमधिकं रोमावली केन सा ॥११९ ॥
स्वपरप्रतारकोऽसौ निन्दति योऽलीकपण्डितो युवतीः ।
118 ) I [s] पिकवयो; M2 सुकवयो ( for कविवरा ).
M1-3 वाचो ( for बोधा ).
CY ( except Y1 ) TG1-8
8 ) A कामिनीभ्यः; DY1.5G2. 8 कामिनीर्याः; H J Y27.8 T
●
O
O
G15 M कामिनीस्ता: ; Y1 कामिनीर्हि; Y० कामिनीति. - ) CG1 M3 यासां; G2 (by corr.)
ताभिर् (for याभिर् ). G4 M4 'कातर ( for 'तारक ). - 2 ) D इंद्रादयो; Eo. 2. 80,4
रुद्रादयो; Yr चक्रादयो; M2 ईशादयो ( for
शका ). D E24 F I J 8 ( except X ) त्व (Ys
ह्य) बला: ( for अबलाः, to aviod hiatus ).
BIS. 3804 (1635 ) Bhartr. ed. Bohl. 1. 10. Haeb. 12. lith ed. II. 59; SRB.
p. 252. 42 ; SBH. 1287; SRK. p. 272.20. ( Bh. ); SMV. 16. 11 ; SLP. 4.99 ( Bh. ).
" ) Aoc B1 DH J2cY ( except Y37 ) T1G5 M
A2 एक (for एष ).
a
119
W₁
उद्धृत्त:; यद्वृत्त (for
उद्वृत्त - ).
Yo चंचच्- ( for नेत्रे ). J1 Y6 चलद्-; Y1 व ते ; G1 M3
च तद्- ( for चले). 1 ) B C D E2t F H I J X Y1.3.6–8 T G1 1 5 M रागाधिष्ठितमो
( X1 दो ) ष्ठ-; Eot.it+t 6 रेकाधिक्यतमोष्ट; Eoc. 10 रैकाधिक्य ; Eac. at एकाधिक्य-; Eac.c
ऐकाधिक्य ( Eo. 3. coms. एकेन = रागेण; E1.5 coms. रेकेन = रागेण ); W रागांधेषु तदोष्ठ;
Y2.4.6 G2.8 रागावेष्टितमोष्ठ- [ A com. रागाधिक्यतम = रक्तिमारि ( Ao com. ललाईरि).
अत्यंत अधिकाई. E com. on 28 ends तमां = अधिकतरां. Both A1 com. and Ei com.
'तमोष्ठ = 'तम + उष्ठ.] A8 पल्लवतर्म; B C D E2t F H I J S ( except X 2 ) - पल्लवमिदं.
Y 2 कामं ; Y 16 G23 Ms काम- ( for नाम ).
M5
0 ) Y 4.0 सौभाग्याधर C F 3. 4 J2 w
S
Y1. 2. 4, 5 G2.3_M1+ पंक्तिरे ( X 2 °३ ) व ) ; F1 2 H_J1 X Y: TG15 Ms - मालिकेव. J1
लिखितं ( for लिखिता ). - 2 ) All MSS.
'स्था हि ). B1Xat अनिशं ( for अधिकं ).
वा; X 2 Y2 मे; T2 ता ( for सा).
( except A BE1 - 1 ) मध्यस्था ( J1 °स्थो) पि
Y1 - 0.8 T रोमावलिः. J1 Y1.4 - 8 T1 G
(for
M1 - 4
BIS. 1259 (472) Bhartṛ. ed. Bohl. and lith. ed. III. 1. 15. Haeb. 17.
lith. ed. II. 60. Satakv. 63. SBH. 1354; SDK 2.774 ( p. 119 ); SLP. 4.100
(Bh.).
1204 ) X स्वपर:; X. I स पर; G1 स वर ; M4 स्वर-: C प्रतापको; D अलापको;
Jit प्रताहको; Jic. 2 -प्रतापका; G1 परबताको I [s]यं (for [s]
यो यो न; G1 योषिक; M4. 5 यो जगति (for Eo. 1. 8 -5 X1 M4. 5 युवतीं; E2 X 2
Y1.2.45G+ युवतिं; J G1 युवतिः.
सौ ). – 1 ) F3 योलीकः; Y#
B
●)
योऽलीक - ).
Eot. 1t. 26t तस्मात् ( for यस्मात्).
2.
( by corr. ) स्वर्गे; G+ स्वर्ग (for स्वर्ग:).
d) Ya
Ma स्वर्गो ( for स्वर्गे ). Jat वाप्सर: (forबाप्सरसः).
नूनं हि ते कविवरा विपरीतबोधा
ये नित्यमाहुरबला इति कामिनीनाम् ।
याभिर्विलोलतरतारकदृष्टिपातैः
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उदृत्तस्तनभार एष तरले नेत्रे चले भ्रूलते
रागाधिक्यतमोष्ठपल्लवदलं कुर्वन्तु नाम व्यथाम् ।
सौभाग्याक्षरपङ्किकेच लिखिता पुष्पायुधेन स्वयं
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मध्यस्था हि करोति तापमधिकं रोमावली केन सा ॥११९ ॥
स्वपरप्रतारकोऽसौ निन्दति योऽलीकपण्डितो युवतीः ।
118 ) I [s] पिकवयो; M2 सुकवयो ( for कविवरा ).
M1-3 वाचो ( for बोधा ).
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ह्य) बला: ( for अबलाः, to aviod hiatus ).
BIS. 3804 (1635 ) Bhartr. ed. Bohl. 1. 10. Haeb. 12. lith ed. II. 59; SRB.
p. 252. 42 ; SBH. 1287; SRK. p. 272.20. ( Bh. ); SMV. 16. 11 ; SLP. 4.99 ( Bh. ).
" ) Aoc B1 DH J2cY ( except Y37 ) T1G5 M
A2 एक (for एष ).
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च तद्- ( for चले). 1 ) B C D E2t F H I J X Y1.3.6–8 T G1 1 5 M रागाधिष्ठितमो
( X1 दो ) ष्ठ-; Eot.it+t 6 रेकाधिक्यतमोष्ट; Eoc. 10 रैकाधिक्य ; Eac. at एकाधिक्य-; Eac.c
ऐकाधिक्य ( Eo. 3. coms. एकेन = रागेण; E1.5 coms. रेकेन = रागेण ); W रागांधेषु तदोष्ठ;
Y2.4.6 G2.8 रागावेष्टितमोष्ठ- [ A com. रागाधिक्यतम = रक्तिमारि ( Ao com. ललाईरि).
अत्यंत अधिकाई. E com. on 28 ends तमां = अधिकतरां. Both A1 com. and Ei com.
'तमोष्ठ = 'तम + उष्ठ.] A8 पल्लवतर्म; B C D E2t F H I J S ( except X 2 ) - पल्लवमिदं.
Y 2 कामं ; Y 16 G23 Ms काम- ( for नाम ).
M5
0 ) Y 4.0 सौभाग्याधर C F 3. 4 J2 w
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Y1. 2. 4, 5 G2.3_M1+ पंक्तिरे ( X 2 °३ ) व ) ; F1 2 H_J1 X Y: TG15 Ms - मालिकेव. J1
लिखितं ( for लिखिता ). - 2 ) All MSS.
'स्था हि ). B1Xat अनिशं ( for अधिकं ).
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Y1 - 0.8 T रोमावलिः. J1 Y1.4 - 8 T1 G
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M1 - 4
BIS. 1259 (472) Bhartṛ. ed. Bohl. and lith. ed. III. 1. 15. Haeb. 17.
lith. ed. II. 60. Satakv. 63. SBH. 1354; SDK 2.774 ( p. 119 ); SLP. 4.100
(Bh.).
1204 ) X स्वपर:; X. I स पर; G1 स वर ; M4 स्वर-: C प्रतापको; D अलापको;
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यो यो न; G1 योषिक; M4. 5 यो जगति (for Eo. 1. 8 -5 X1 M4. 5 युवतीं; E2 X 2
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( by corr. ) स्वर्गे; G+ स्वर्ग (for स्वर्ग:).
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