This page has been fully proofread once and needs a second look.

४६
 
भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
 
येनाचिरात् तदद्धरामिषलोलमर्त्य-

मत्स्यान् विकृष्य स पचत्यनुरागवौवह्नौ ॥ ११४ ॥

 
उन्मत्तप्रेमसंरम्भादारम्भन्ते यदङ्गनाः ।
 

तत्र प्रत्यूहमाघाधातुं ब्रह्मापि खलु कातरः ॥ ११५ ॥

 
मालती शिरसि जृम्भणोन्मुखी चन्दनं वपुषि कुङ्कुमाविलम् ।

वक्षसि प्रियतमा मदालसा स्वर्ग एष परिशिष्ट आगतः ॥ ११६ ॥

 
कुङ्कुमपङ्ककलङ्कितदेहा गौरपयोधरकम्पितहारा ।
 

नूपुरहंसरणत्पदपद्मा कं न वशीकुरुते भुवि रामा ॥ ११७ ॥
 
-लोलमृत्युर; F3. 4 W1c, 2, 3c, ±c -लोभमर्त्य-.
 
") C मत्स्यान्विवेक-;
C
 
Eoc F3 - मत्स्यानिकृष्य;
 
H -मीनान्विकृत्य; X 2 -मच्छान्विकृष्य. C निपतति; W पचतीति; Y+-8 T G2s M विपचति
( for स पचति ).
 
BIS. 6237 (2877) Bhartr ed. Bohl. 1. 84. Haeb. 87. lith ed. II. 54.
Śatakāv. 74 ; SS44. 2 ( baed); SN. 264.
 
115 In Y2, this stanza lost on missing folio.
उद्गाढ-;
 
a ) C उन्मत्तः; F+ Y1 4 5 G2.3.5
Y: उन्मीलत् ; M 1, 4 उन्मत्ता: (for उन्मत्त - ). Yr - प्रिय- ( for -प्रेम-), Ila -सारंभाद्;
Y: -संबंधाव्; Y: -संभोगान्; G1 M2 -सरसम्; G+M. - संचारा; M1 * रसम्;
M3 -संसर्गाद्
 
( for -संरम्भाद् ). Ao. 3 E2 F Y1 4 – 5 T G ( except G3t ) M ( except M2 ) आरभंते
[ the grammatically correct reading ]; Es आरंभेते; Y3 [ आ ]रंभते; Y7 आरंभंति ( for
आरम्भन्ते). X यदांगनाः. Y: भजते यदलीगणः - ) Yit ( 4 and printed text ) तं च
c) A
( for तंत्र ). Fs प्राप्तमहाधातुं; JG1 प्रत्यूहमादातुं - 4) E3 दैवोपि (for ब्रह्मापि).
 
BIS. 1266 ( 476 ) Bhartr ed Bohl. 1.60 Haeb 63. lith ed. II. 55; SM. 1405;
SSV. 1390; SLP. 4.96 ( Bh. ) .
 
116 Stanzas 116-118 are omitted in E3, probably due to a missing fol. in
exemplar (but com. of 118 found ). -- 4 ) D जृंभितोन्मुखी; I श्रंभिणोन्मुखी; Y+-6. 4 T
Gs जृंभणं मुखे; G+ M2 जृंभणोन्मुखा ( M2 -ख) ; Mo भृंगिणोन्मुखी. - ० ) F1 कुंकुमार्पित
(t.v. 'र्चितं); F2 'माचितं; W2.3 °मान्वितं ( W com. कुंकुमेन युक्तं); G1.8t.v.4 M°मारुणं
(for 'माविलम्). ● ) X 1 वक्ष्यसि ( for वक्षसि ). B2 Fs W मनोहरा; C Eo. 4. 5 F2
मदालसाः; G1
M4. 6 रसालसा (for मदा). —
एष ). B2 परिपूर्णम्; D परिसृष्ट; F: मृष्ट; X Y1 तुष्ट;
F2 Fs
(t.v. as in text) J Y 4-8 T G आगम: ( for आगतः ).
 
a
 
4 ) F2. 4 Y7 G1.24 M1 3 एव ( for
-
 
मदालस;
 
Y० परसिद्धिर् (for परिशिष्ट ). F
C स्वर्ग एष परिखिद्यते कथं.
 
BIS. 4842 (2192 ) Bhartr. ed. Bohl. 1. 24. Haeb. 26 lith ed. II. 57.
Prasañgābh. 14; SBH. 2228; SIP. 3.29.
 
117 J2c calls this चित्रपदवृत्त. - ) 42 कलिंकितदेहा.
Ms तुंग - ( for गौर - ). C Y2. 4.5 G2. 8 ( by corr. ) - लंबित-; G6
J1 W1-हारा:. Hic.v. विकसितजातीपुष्पसुगंधिः.
-ईसन सत् ; M4.5 -रखरणत्- (for -हंसरगत्-).
 
J1 रामा
 
8 ) B1 G4 पीन-; Git.v.
-चंचल- ( for कम्पित-).
 
- 0 ) A2 B1 -रावरणत्; Git.v. M3
 
नूपर.
2 ) A3 E ( E2 om. ) Fs वशं ( for वशी-).
 
BIS. 1787 ( 691) Bhartr ed. Bohl. and lith ed. III. 1. 9. Haeb. 11; SRB.
p. 253. 13; SBH. 1275; SRK. p. 271 11 ( Bh. ) ; SM, 1385 ; SSV. 1370; JS, 386;
SLP. 2. 103.
 
(