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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
 
सन्मार्गे तावदास्ते प्रभवति हि नरस् तावदेवेन्द्रियाणां

लज्जां तावद् विधत्ते विनयमपि समालम्बते तावदेव ।

भ्रूचापाकृष्टमुक्ताः श्रवणपथजुषो नीलपक्ष्माण एते
 

यावलू लीलावतीनां न हृदि धृतिमुषो दृष्टिबाणाः पतन्ति ॥९५॥

 
यदेतत् पूर्णेन्दुद्युतिहरमुदाराकृतिधरं
 

मुखाब्जं तन्वङ्ग्याः किल वसति यत्राधरमधु ।

इदं तत् किंपाकद्रुमफलमिवातीव विरसं

व्यतीतेऽस्मिन्काले विषमिव भविष्यत्यसुखदम् ॥ ९६ ॥
 
BIS. 1038 (392) Bhartr ed. Bohl. and lith ed. III. 1. 76. Haeb. 79.
Santiśātaka 2. 3. l'aîc. ed. Koseg. I. 204. ed. Orn. 152. ed. Bomb. 191; SRB.
p. 350. 83; SM. 1397 ; SN. 262; SSD. 4. f. 19a; SSV. 1382 ; JS.397.
 
95 Om. in I. Folio missing in Y..
तावदास्ते ). C J2 S ( W2.3om. ) च ( for हि ).
 
. a) C सन्मार्गस्. J1c. 2 तावदस्ति ( for
BD F5 Y 1 पुरुषस्; F3 हि जये ( for
हि नरस्). A3 तावदेवेंद्रियाणि ; Jit यावदेहंद्रियाणां; Y1 संयमश्वंद्रियाणां - ० ) C समाल॑भते;
 
-
 

 
Est सदालंबते.
 
6 ) F2 भ्रूचापात् (for भ्रूचापा-) C वदन ( for श्रवण- ). B1 पटु-
A 3 युषो; C D Est 4t F HJ S ( except X Y1 )
 
2 ) F2 om. न.
 
( for -पथ- ).
( for -जुषो ). X पक्ष्माणमेते; Y8 पक्षमापताका.
हृदि न ( by transp. ). A2B1 E26F15 W2. 8 धृतिमुखो; E1 मुषा; E3.4 °मुखा (for
'मुषो). A2 दृष्टबाणा:; G+ दृष्टिपाताः. X 3 पठति; T3 पत्ते.
 
-गता ( G1 -गतान्)
Y3 - 4 T G1 -4 M
T
 
BIS. 6824 (3168 ) Bhartr. ed. Bohl. 1.59. Haeb. 62. lith ed. II. 33. Kāvyas.
51. Hit. ed. Sehl. on 39.20. Johns. I. 207. ed cal. (1830 ) p. 138, ed. Rodr. p. 119.
Suk. Pet Ms. 26. Subhāsh. 93; Sp. 3300 ( Bānabhatta ) ; SRB. p. 260.112
(Dharmakīrti); SBH. 2246; SKM. 53. 12 (Bāņa); SRK. p. 276. 3 (Sphuṭaśloka);
SHV app. II. fol. 4a 33; SK. 5. 135; SU. 256; SM. 1384; SN. 255; SSV. 1369;
SLP. 4.12.
 

 
96 ) C पूर्णेदो ति; Wat पूर्ण दुष्कृति (for पूर्णेन्दु युति ). Wst हरद्-; X Gat
हरम् ). C°धरे; W 1 - 3 Y6.7 M4.5°वरं;
 
W4 Y8.4.8 T
'धरं ). - ') C मुखाज्वे; Eat मुषाखं; F5 मुखांतं ( for मुखाडां). C
 
;
 
J1 तवंग्याः ( for तन्वयाः).
 
'धरम्; G1 M1.2.4.6 °भरम् (for
'परं; Ma रसं ( for
तत्त्वज्ञः; Est तत्त्वज्ञाः;
C वमति (for वसति ). C पत्राधरमया;
Eot. it. 4t. 4t F2 W3t यंत्राधरमधुः; F15 W1 ( and We ) Y1t. 2.45 G2.8 तत्राधरमधु. - )
C किं तस्पार्क; D तत्किं पक्कं; a तत्किंपाकं; W तावत्पार्क; G1 तरिक पतद्- G+ भ्रम ( fo
'झुम ) . C Eat F3 4 H J Y TGM इदानीमति ( Y० °वि ) रसं ; X इवास्तां च विरसं.
d) B2 भवत्याश्च सुखदं; D विषत्येव सुखदं; Eat भविष्यति सुखदं; J भवत्यसुखदं; Gr+
विपर्येदुसुखदः; Ms.6 भविष्यत्यनुपमं ( M6 °दं ).
 
;
 
BIS. 5255 (2379) Bhartṛ. ed. Bohl. 1. 79. Haeb. 82. lith, ed, II, 34. Šatakāv.
13; SLP. 4.77 ( Bh. ).