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३६
भर्तृहरिभाषितसंग्र
वक्रं चन्द्रविडम्बि पङ्कजपरीहासक्षमे लोचने
वर्णः स्वर्णमपाकरिष्णुरलिनीजिष्णुः कचानां चयः ।
वक्षोजाविभकुम्भविभ्रमहरौ गुर्वी नितम्बस्थली
च
वाचां हारि च मार्दवं युवतिषु स्वाभाविकं मण्डनम् ॥ १० ॥
नामृतं न विषं किंचिदेकां मुक्त्वा नितम्बिनीम् ।
सैवामृतलता रक्ता विरक्ता विषवल्लरी ॥ ११ ॥
भ्रूचातुर्याकुञ्चिताक्षाः कटाक्षाः स्निग्धा वाचो लजितान्ताश्च हासाः ।
लीलामन्दं प्रस्थितं च स्थितं च स्त्रीणामेतद् भूषणं चायुधं च ॥१२॥
90 ") W वक्रं ( for वक्तुं ). B1CF 4.5H Yo. 8 G2.35M 1. 2 - विलासि; D F3.4t.v.
J2 W Y 3 - 5.7 T G1. + M3 - 5 -विकासि; Est -विडंब-; J1 - विकाशि; X 2 - विलास- (for -विडम्बि );
G+ वारिज - ( for पङ्कज ). J X1 Y7 °हासाक्ष मे. – ') CW4 G1 M3 वर्ण ( for वर्णः). C G1
-
M3 ब्णुरजनी; D F3 4 JY2 ब्णुरलिनां; E F प्णुरलिनीं; Eom.; Y1 °ण्णुरलिनीर; G+
'ब्णुरलिनो ( for 'ब्णुरलिनी- ). - ) Fs [ इ ]ह (for [इ ] भ - ). B Esc M1-3 -विभ्रमकरौ; F
(t.v. as in text) -विभ्रमधरौ; W1c. 2-1 संभ्रमहरौ (for -विभ्रमहरौ). After हरौ, Jat lucuna
to the end of Śloka. Jit M3 गर्वी ( for गुर्वी ) – 4 ) A Hit a I वाचो; C चेतो; X X
वाचा; M3 द्वाचां ( for वाचां ).
;
मार्दवम्; I हारित (for हारि च ).
F०
E हारिषु ( Ecom. युवतिषु हारिषु मनोहारिणीषु ) ; Fo
उज्ज्वलं; Jit माईवं; J10 भावः (for मार्दवं).
Fs
BIS. 5896 (2696 ) Bhartr. ed. Bohl. and Haeb. 1. 5 lith ed. II. 26; SRB,
p. 254. 43 ; SRK. p. 27117 ( Prasaingaratnāvali ) ; SLP 4.71 ( Bh. ).
91 G₁ om. [perhaps haplographically with similar variant reading of
तावदेवामृत which precedes ] -- ") W 4 नामनं न विषं; X 1 Gat नामृतं नाविषं; Y: विनामृतं
विष; Y५ नामृतं न मृषं. 6 ) A3 Jirat एकां मुक्ता; C एकैव तु; Fs Y7.8 एका मुक्त्वा;
-
W एका मुक्ता; X1 एकां मुक्तां; X 2 विना मुक्तां; X 2.4 G3. 4 एतां मुक्त्वा ; Y: विना मुग्धा G5
M4. 6 एनां मुक्त्वा; M1 विना मुग्धां; M3 एकमुक्ता (for एकां मुक्त्वा ). ( J2 com. मुक्ता = बिहु
for मुक्त्वा ). BC E4 5 I Jit W M3 नितंबिनी. - 0 ) BD E0 - 2.40 5 F1 2 G+
सैवामृतमयी; W: शैवामृतलता. G2t सेवामृतरसालक्ता. – 4) Yo वियुक्ता (for विरक्ता).
a)
BIS. 3608 (1549 ) Bhartr ed. Bohl. 1.75. Haeb. 78. Pañc. ed. koseg. IV. 34.
ed. Bomb. 32. Subhāsh. 12 ; SRB. p. 251. 10 ( var. ) ; SRK. p. 114 11 (Bh.); SU.
565; JSV. 24117 (var. ) ; SLP. 4. 72 ( Bh. ).
¬) ¿2 B1 D F‡ H J Y T G भ्रूचातुर्यात् ; Fs W1 M4, 5
DF
अचातुर्य (W1 'र्य-). Fs कुंचिताक्ष्या; G+ कुंचितांताः; Ms कुंचिताध: ( for कुचिताक्षा.).
C भ्रूचातुर्य कुंचिताकुंचिताक्ष्याः - 1) BF1.3 H Jit. a भावा;
2 J1c भावः; Y7 वाचा ( for
92 Om. in I.
बाचो). C Eat M3 लज्जितास्ते च; Fs W लजिता (W2 °जया) चैव; Jit लजितालाच; G+
लक्षितांताश्र. °) Ba G+ लीलामंद. D वा स्थितं; Es. 4t सुस्थितं; F2W4 (orig.) चास्थितं
( for च स्थितं). E1X1 om. ( hapl.) स्थितं च. 4 ) A0. 1.3 एते ( for एतद् ). Fsm.v.
दूषणं ( for चायुधं). Eot वा (for च).
a
BIS. 4646 (2081) Bhartr ed. Bohl. and Haeb. 1. 3; Sp. 3954 ( Bh. ) ; SRB.
p. 251, 41 (Bh.) ; SBE. 2227 ( Kaviputrau ) ; SRK. p. 270 6 ( Bh.); SLP,
4. 73 ( Bh. ).
भर्तृहरिभाषितसंग्र
वक्रं चन्द्रविडम्बि पङ्कजपरीहासक्षमे लोचने
वर्णः स्वर्णमपाकरिष्णुरलिनीजिष्णुः कचानां चयः ।
वक्षोजाविभकुम्भविभ्रमहरौ गुर्वी नितम्बस्थली
च
वाचां हारि च मार्दवं युवतिषु स्वाभाविकं मण्डनम् ॥ १० ॥
नामृतं न विषं किंचिदेकां मुक्त्वा नितम्बिनीम् ।
सैवामृतलता रक्ता विरक्ता विषवल्लरी ॥ ११ ॥
भ्रूचातुर्याकुञ्चिताक्षाः कटाक्षाः स्निग्धा वाचो लजितान्ताश्च हासाः ।
लीलामन्दं प्रस्थितं च स्थितं च स्त्रीणामेतद् भूषणं चायुधं च ॥१२॥
90 ") W वक्रं ( for वक्तुं ). B1CF 4.5H Yo. 8 G2.35M 1. 2 - विलासि; D F3.4t.v.
J2 W Y 3 - 5.7 T G1. + M3 - 5 -विकासि; Est -विडंब-; J1 - विकाशि; X 2 - विलास- (for -विडम्बि );
G+ वारिज - ( for पङ्कज ). J X1 Y7 °हासाक्ष मे. – ') CW4 G1 M3 वर्ण ( for वर्णः). C G1
-
M3 ब्णुरजनी; D F3 4 JY2 ब्णुरलिनां; E F प्णुरलिनीं; Eom.; Y1 °ण्णुरलिनीर; G+
'ब्णुरलिनो ( for 'ब्णुरलिनी- ). - ) Fs [ इ ]ह (for [इ ] भ - ). B Esc M1-3 -विभ्रमकरौ; F
(t.v. as in text) -विभ्रमधरौ; W1c. 2-1 संभ्रमहरौ (for -विभ्रमहरौ). After हरौ, Jat lucuna
to the end of Śloka. Jit M3 गर्वी ( for गुर्वी ) – 4 ) A Hit a I वाचो; C चेतो; X X
वाचा; M3 द्वाचां ( for वाचां ).
;
मार्दवम्; I हारित (for हारि च ).
F०
E हारिषु ( Ecom. युवतिषु हारिषु मनोहारिणीषु ) ; Fo
उज्ज्वलं; Jit माईवं; J10 भावः (for मार्दवं).
Fs
BIS. 5896 (2696 ) Bhartr. ed. Bohl. and Haeb. 1. 5 lith ed. II. 26; SRB,
p. 254. 43 ; SRK. p. 27117 ( Prasaingaratnāvali ) ; SLP 4.71 ( Bh. ).
91 G₁ om. [perhaps haplographically with similar variant reading of
तावदेवामृत which precedes ] -- ") W 4 नामनं न विषं; X 1 Gat नामृतं नाविषं; Y: विनामृतं
विष; Y५ नामृतं न मृषं. 6 ) A3 Jirat एकां मुक्ता; C एकैव तु; Fs Y7.8 एका मुक्त्वा;
-
W एका मुक्ता; X1 एकां मुक्तां; X 2 विना मुक्तां; X 2.4 G3. 4 एतां मुक्त्वा ; Y: विना मुग्धा G5
M4. 6 एनां मुक्त्वा; M1 विना मुग्धां; M3 एकमुक्ता (for एकां मुक्त्वा ). ( J2 com. मुक्ता = बिहु
for मुक्त्वा ). BC E4 5 I Jit W M3 नितंबिनी. - 0 ) BD E0 - 2.40 5 F1 2 G+
सैवामृतमयी; W: शैवामृतलता. G2t सेवामृतरसालक्ता. – 4) Yo वियुक्ता (for विरक्ता).
a)
BIS. 3608 (1549 ) Bhartr ed. Bohl. 1.75. Haeb. 78. Pañc. ed. koseg. IV. 34.
ed. Bomb. 32. Subhāsh. 12 ; SRB. p. 251. 10 ( var. ) ; SRK. p. 114 11 (Bh.); SU.
565; JSV. 24117 (var. ) ; SLP. 4. 72 ( Bh. ).
¬) ¿2 B1 D F‡ H J Y T G भ्रूचातुर्यात् ; Fs W1 M4, 5
DF
अचातुर्य (W1 'र्य-). Fs कुंचिताक्ष्या; G+ कुंचितांताः; Ms कुंचिताध: ( for कुचिताक्षा.).
C भ्रूचातुर्य कुंचिताकुंचिताक्ष्याः - 1) BF1.3 H Jit. a भावा;
2 J1c भावः; Y7 वाचा ( for
92 Om. in I.
बाचो). C Eat M3 लज्जितास्ते च; Fs W लजिता (W2 °जया) चैव; Jit लजितालाच; G+
लक्षितांताश्र. °) Ba G+ लीलामंद. D वा स्थितं; Es. 4t सुस्थितं; F2W4 (orig.) चास्थितं
( for च स्थितं). E1X1 om. ( hapl.) स्थितं च. 4 ) A0. 1.3 एते ( for एतद् ). Fsm.v.
दूषणं ( for चायुधं). Eot वा (for च).
a
BIS. 4646 (2081) Bhartr ed. Bohl. and Haeb. 1. 3; Sp. 3954 ( Bh. ) ; SRB.
p. 251, 41 (Bh.) ; SBE. 2227 ( Kaviputrau ) ; SRK. p. 270 6 ( Bh.); SLP,
4. 73 ( Bh. ).