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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
 
अभिनवमदलीलालालसं सुन्दरीणां
 

स्तनभरपरिखिन्नं यौवनं वा वनं वा ॥ ८५ ॥

 
राजंस् तृष्णाम्बुराशेर्न हि जगति गतः कश्चिदेवावसानं

को वा अर्थैः प्रभूतैः स्ववपुषि गलिते यौवने सानुरागः ।

गच्छामः सद्म यावद् विकसितकुमुदेन्दीवरालोकिनीनाम्

आक्रम्याक्रम्य रूपं झटिति न जरया लुट्यते प्रेयसीनाम् ॥८६॥

 
उपरि घनं घनपटलं तिर्यग् गिरयोऽपि नर्तितमयूराः ।

क्षितिरपि कन्दुलधवला दृष्टिं पथिकः क पातयतु ॥ ८७ ॥
 
c.v. )2. 4. 5 G2. 3 वचोभिर् (for प्रलापैर् ). B किमिह ( B2 °ति ) बहुविकल्पैर्जल्पितैर्युक्तिशून्यैर्.
4) C Ya (orig.) द्वयमिव; E13.6 I °मपि. c) Xst 'मली' (for 'लीला' ).
Wst 'लालसत्; We 'सुंदरं ( for 'लालसं). - ) F+ परिपूर्ण; Wat परिखिर (for 'खिन्नं).
C धनं ( for वनं ).
 
तू
 
BIS. 1771 (685) Bhartr ed. Bohl. 1.53. Haeb 56 lith ed. II. 17 ; SR.B.
p. 252.52 ( Bhattodbhata) ; SBH 3453 ( Bhattodbhata ) ; SLP. 3.5.
 
a
 
86 " ) E3 W+ राशे (for 'राशेइ).
1 ) ABEIX को
 
G± ततः ( for गतः). G+ किंचिदू. Wat.st Y3
[अ] वसाने.
वाप्यर्थैः; C Fs J108 W Y TG2.35_M1.4.6
को वार्थो:; D को वाप्यर्थ:; F1.2 H (but Hic differs and not clear ) लोकोप्यर्थैः; F3
को वाचार्थ:; F+ को वाथो:; Jit को वार्थो ते; G1 M2 को वार्थोथ; G+ को वास्ते ; M3
को वास्तैः (for को वा * अर्थैः). D प्रभूते; G1 M2 -प्रभावैः; G+ lacuna (for प्रभूतैः ). D
वपुषि च; G+ वपुषि (for स्ववपुषि). B1 गलितै; C गलितैर् (for गलिते). Y3 यौवनं. C
F± J2 S (except X ) सानुरागे; F रागं; H [s] सानुरागः ?; J1 Yac.v. रागाः (for रागः).
● ) D सन्नवायद्; H Y8TG4 सभ तावदू; J1 सम याम;
सप्त यावद्.
G+ मुकुलित-
Y3
 
( for विकसित - ). A ° कुसुदी; B2 C D Fs We X Y1 G± नयनेंदी'; J2 'कमलेंदीं; Y3
 
Beintei
 
कुमुर्दैदी' (for 'कुमुदेन्दी ). Ea It Wat °लोकनीनां
 
यावन्माक्रम्य.
 
B J1 झटिति च; X 2 सटिति न; Y3
 
- 4) C आलोक्यालोक्य;
d) Wat.st.st
झटति न; Y7 T2.3 झडिति न; Gs
न झटिति Fs जरसा; Yo रजसा ( for जरया). Ao.3 Est at H I ( by corr. )
4t J
लुंट्यते; A2 CDF12.46 I ( orig. ) W Y 1 G2.3.6 M1 - 3 लुप्यते; B ग्रस्यते;
B मस्यते; Eot. st
लुंचते; E1. 2. 4 ( and Ec) लुंच्यते (gloss लुंट्यते ) ; Fs भुज्यते; G1 लुप्यसे; G+ M 1.6 लुक्यते
( for लुट्यते ). B H कामिनीनां (for प्रेयसीनाम् ).
 
BIS. 5739 (2601 ) Bhartr ed. Bohl. 1. 69. Haeb. 72. lith, ed. II. 21; SLP. 4.
68 (Bh.).
 
87 Y2 fol. missing. a ) Ja घन- ( for घनं). G+ उपवनं घनपटलं. ¬) Y4 G+
तरवोपि; M1 -गतयोपि; Ms गिरयो वि- ( for गिरयोऽपि ). H1c वल्गित (for नर्तित - ). G+
") F5
मयूर
W
वसुका; वसुधा (for क्षितिरपि ). X3 कंदनधखला. a) Jat दृष्टि; W
तुष्टिं (for दृष्टिं). X पथि क्व; X 8 पथिक: कं; G2. 3 पथि नः क्व; G+ पथिकस्य (for पथिकः च ).
ČE1 F‡ Jit_X_Y1.8–6.8 T1. 2 G1. 20.35 M पातयति; Ja W+ पातयत् ; Yr G4 पादयति;
T3 Gat पातयंति.
 
BIS. 1290 (491) Bhartr. ed. Bohl. 1. 43. Haeb. 46. lith ed. II. 22;
Sp. 3886; SRB. p. 342.82 ( Bh. ) ; SBH. 1744 ( Bh. ) ; SKM 61. 33 ( Bh. ) ;
Sarasvatikanthābharana 3. 87 ( KM 94, p. 353 ) ; SK 3. 323; SU. 867; 8G. fo
77b; SLP. 4. 67 ( Bh. ).