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शृङ्गारलोकाः ।
असाराः सन्त्येते विरतिविरसा वाथ विषया
 
जुगुप्सन्तां यद् वा ननु सकलदोषास्पदमिति ।
तथाप्यन्तस्तत्त्वप्रणिहितधियामप्यतिबलस्
 
तदीयोऽनाख्येयः स्फुरति हृदये कोऽपि महिमा ॥ ८३ ॥
 
मात्सर्यमुत्सार्य विचार्य कार्यमार्याः समर्यादमिदं वदन्तु ।
सेव्या नितम्बाः किमु भूधराणामुत स्मरस्मेरविलासिनीनाम् ॥ ८४ ॥
किमिह बहुभिरुक्तैर्युक्तिशुन्यैः प्रलापैर्
 
द्वयमिह पुरुषाणां सर्वदा सेवनीयम् ।
 
83
 
Om. in Krgna Śastri Mahābal's ed. (NSP). a) G+ उपाया: ( for
असारा: ). B E2t F1. 2. 4 6 H I J W X Y1-3.5 G1–4 M. 2. 4.5 संवेते; Y+ TG6 सर्वे ते;
Yo. 8 संसारा ( for सन्त्येते ).
 

 
E
 
Xa
 
३३
 
F 1.2 H विषमा; Y० °विषयाः (for 'विरसा ). A बाह्य ; D
 
ID
 
X 1
 
यच्च;
 
( for वाथ ).
 
D3 Hic J Y+–5 T G1−3.5 M1.2
 
I °प्स्यतो; Y3
X1 Y 2.7 जिगुप्संतां. B2 X3 न तु ( for ननु ). Eat शकल
 
O
 
( for सकल ). AE3. + H T3 G+ अपि ; F2 इदं ( for इति ). – ( ) F2 तत्वाप्रणि ; W 'तत्त्वे
 
-
 
प्रणि' (for 'तत्त्वप्रणि ). A2 W+ अतिबलासू; Eo. 2 अतिबलं (for °बलसू). d) W3t
[s] नाक्षेप: ( for sनाख्येय: ). E2 कोप्यमहिमा. For 83, F3.5 H IŠ (except W)
subst. (i. e. all Mss of archetype B 8 by haplography with st भवन्तो वेदान्त ) :
तथाप्येतमो न हि परहितात्पुण्यमधिकं
 
न चास्मिन्संसारे कुवलयदृशो रम्यमपरम् ।
 
0
 
I
 
याश्च;
 
F3 - 6 Ic W - [ आ ]यास -; Do.15 It ये च; E3. + चापि ; Jit Y1.2.8 G2.3 वाद;
Y3 - [ आ ] स्वाद; Y+ पापि-; Y50 T G पाप ; G+ [अ]पायि-; M3 वादि
F+ -विषमा (for विषया). – 4 ) B1 Est Ys M4 जुगुप्संतं;
स्यंतो;
 
पसंती; I
 
'स्यंतां; F2 पसंती;
F2
 
6
 
L. G4 अथा' (for तथा ). F% X Y14-4 T G4. भूमौ (for बूमो) – (I. 2 ) Fsवा
( for च ). Jat परमं (but gloss for अपरं ); Jic Y3 - 57.8 Go Mo अधिकं; G+ lacuna
( for अपरम् ).]
 
BIS. 776 ( 289 ) Bhartr. ed. Bohl. lith ed. III. 1. 51, II. 14. Haeb. 54,
Satakāv. 68; FLP. 4.64 ( Bh. ).
 
a
 
84 4 ) X मात्सर्यमात्सार्य. X 2 विशर्य (for विचार्य). – 4) 42 समार्यादम्. C
1
उदाहरंतु; F Ys इदं वदंति. ●) G+ सेवा ( for सेव्या ). F 2.3 G+ खलु; Jat किल (for
 
A
 
किमु ). – ") M3 कुतः ( for उत ). F2 M + स्मित - ; M5 ततः ( for स्मर - ). Get - स्मैर- ( for
-स्मेर- ). C -विलोकिनीनां; Hat Wat -विलासनीनां; H1c -विलासीनीनां.
 
BIS. 4811 (2177 ) Bhartr ed. Bohl. and lith ed. III. 1. 18. Haeb. 20 lith.
ed. II. 16. Dasarūpāvaloka p. 162; SRB. p. 251. 36; SBH. 2229; Udāharaņa-
oundrikā; Kāvyānuśāsana of Vagbhata 2 ( KM. 43, p. 28 ) ; AMD. 278;
com. on Candrāloka 7. 2 ( p. 113 ) ; Alamkāraratnākara 266; Kāvyaprakāśa 5
(133), 7 (262); Kāvyapradipa ( KM 24, p. 188 and p. 280 ) ; com. on Kāvyā-
darśa of Dandin 3 139 (Govt. Or Ser. At, p. 382 ) ; SIP. 4.66 ( Bh. ).
 
85 Om. in NS2.
 
a ) F1.2 किमिव; J1 इह हि ( for किमिह). Eat अर्थशून्यैः;
Eo.16 and Eo वस्तु (gloss युक्ति ); Jat Gat युक्त ( for युक्ति ). Hata X1 ( 48 and
 
५ भ. सु.