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३०.
 
भर्तृहरिभाषितसंग्रहे
 
तमपि कुरुते क्रोडाघीनं पयोधिरनादराद
 
अह ह महतां निःसीमानश् चरित्रविभूतयः ॥ ७३ ॥
परिवर्तिनि संसारे मृतः को वा न जायते ।
स जातो येन जातेन याति वंशः समुन्नतिम् ॥ ७४ ॥
सिंह: शिशुरपि निपतति मदमलिनकपोलभित्तिषु गजेषु ।
प्रकृतिरियं सत्त्ववतां न खलु वयस् तेजसो हेतुः ॥ ७५ ॥
केयूरा न विभूषयन्ति पुरुषं हारा न चन्द्रोज्वला
 
न स्त्रानं न विलेपनं न कुसुमं नालंकृता मूर्धजाः ।
 
BIS. 6012 (2763 ) Bhartr. ed. Bohl. 2. 28. Haeb. 96. lith ed. I and II. 35.
Galan 38. Subhash 315; BPB. 207 ( Simantakavi ) ; SRB p. 51. 226; BPS. 122;
JSV. 184.6.
 
74* Om. in Wai 2, and Adyar XXIX E 2; not found in Rānā Pratāp's
trans. Fs X order cdab. ( 4 ) I Y1A परिवर्तनि; J1 वृत्तिनि; Y3 वर्त्मनि. - ० ) B2 F4
H I मर्त्यः; F3 श्रुतः; Y7 नरः; M+ मदः ( for मृतः ). E2 Fs कोपि; M+ कोपान् (for को वा).
F 1 जनायते; F3 om.; Ga ( orig. ) न जायति. c ) F3 J2 न ( for स ). Bit यातेन ( for
जातेन ). - d ) A2 जातिवंशः;
a ) A2 जातिवंश: ; J2 याति ममः; J8 W 1 X 1 याति वंश - ; T3 वंशो याति; M4 याति
मान: XI समुन्नती:; Ms समुन्नतीं.
 
BIS. 6681 (3107 ) Bhartr ed. Bohl. 2. 24. Jith ed. I, II and Galan 32.
Hit. ed. Schl. Pr. 13. Johns 14. Paie. ed. koseg. I. 33. ed. Bomb. 27. Subhash. 63;
SRB. p. 98.7; SBL. 500; SRH. 168. 10; SRK. p. 120. 5 ( Hit ) ; SM. 1676;
SSD. 2. f. 113; SSV. 1660.
 
75 Om in D.
 
C - भित्ति - (for भित्तिषु ),
तेजसां ( for तेजसो).
 
a ) G5 पतति (for निपतति ). - ८) Est मदमद- (for मदमलिन-).
40-2 G2 (t.v. as in text ) गजानां - 4 ) ACF2 Y& T Go
 
BIS. 7040 ( 3251) Bhartr ed. Bohl. 2. 31. Haeb. 100 lith ed. I. 37, II. 38.
Galan 41. Subhāsh. 316; Śp. 283; SRB p. 79 14; SBH 593 ( Śrī vajräyudha);
SRK. P. 174. 3 and p. 49. 2 (Bh.) ; ST. 16. 3 and 40.6; Padyaracanā ( K.M. 89,
p. 102. 61, Bh. ) ; SHV. f 72a, 88b; SK. 3. 201; SU. 1578; SSD. 2. f. 103a ;
JSV. 172.7, 287. 3.
 
';
 
76 °) C $ ( except W1.20rig. 3 4 orig. Y1ae)
केयूराणि न ( C °राणि वि- Yo रान
हि) भू. ID सततं ( for पुरुषं ). F+X1 Y3 हारो न चंद्रोज्वलो. - 6 ) B2 कुसुमैर्नालंकृता ।
 
● ) F3 M. 3 - 5 वागेका ( M4 °का: ) ; J2 सा वाणी (for वाण्येका). Ma तम
 
B1 Y 2 नितरां; F+ कृतिनं; X4 - 0 G2.3.6 विमला; T3 सततं ( for पुरुष ). AH1
 
Y3 कुसुमैश्वालं.
( for सम् ).
( gloss ) T3 पठ्यते ( for धार्यते). – ) J W2-1Y8T1 (c.v. as in text ) 2 G6 [s] खिल
( for खलु ). AH J1 न क्वचित् (for भूषणम् ). M3 सा वाग्वैव हि भूषणं भुवि नृणां
वाग्भूषणं भूषणं.
 
www
 
BIS 1910 (735) Bhartr ed. Bohl. 2. 16. Hueb. 106. lith ed. I 18, II and
Galan 13 Sanskrtapäthop 62. Satakūv. 93. Prasaigübh. 6. Subhash 287; SRB..