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नीतिश्लोकाः
तत् तेजस्वी पुरुषः परकृतनिकृतिं कथं सहते ॥ ६५ ॥
आज्ञा कीर्तिः पालनं ब्राह्मणानां दानं भोगो मित्रसंरक्षणं च ।
येषामेते षड् गुणा न प्रवृत्ताः कोऽर्थस् तेषां पार्थिवोपाश्रयेण ॥ ६६ ॥
व्यालं बालमृणालतन्तुभिरसौ रोडुं समुज्जृम्भते
भेत्तुं वज्रमणीञ् शिरीषकुसुमप्रान्तेन संनह्यते ।
माधुर्यं मधुबिन्दुना रचयितुं क्षाराम्बुधेरीहते
नेतुं वाञ्छति यः सतां पथि खलान् सूक्तैः सुधास्यन्दिभिः ॥ ६७ ॥
स्वायत्त मेकान्तहितं विधात्रा विनिर्मितं छादनमज्ञतायाः ।
विशेषतः सर्वविदां समाजे विभूषणं मौनमपण्डितानाम् ॥ ६८ ॥
Ao - 2 - निकषं; Com.; Eim.v. Gat. 4 -निकृतं; 12.5J2.3 W1-3 M3 - विकृतिं; J1 -निजकृतं; X 1
- निहतिं ( for निकृतिं ). W ½ (sec. m. ) G1 M1 - 3.5 कथं नु; 13 कथं तु ( for कथं ). B Eo - 2.5
F1.6 H J2 Y 3 सहतां; J1 broken (for सहते ).
२७
BIS. 5173 (2336 ) Bhartr ed. Bohl. 2. 30. Haeb 88 lith ed. I and II. 37.
Galan 40; SRB. p. 79.15; SRK. p. 49. 6 ( Bh. ) ; S.K. 2.
SMV. 28.20.
108 ; SS.D. 2. f. 103a;
66 2 ) A3EI X सज्जनानां; B पुण्यभाजां (for ब्राह्मणानां ). 8 ) G3 भोगो मित्रः
( for दानं भोगो ). Y: मित्रसंतर्पणं; Ga पुण्यसंरक्षणं; G) नित्य (for मित्र ). – ') IF2 Js Ta
J3
Gat M3. + एषाम् (for येषाम् ). B Fs सद्हणा ( for षडणा). X संप्रवृत्ताः; M..2.4 न प्रसिद्धाः
( for न प्रवृत्ताः ). - a ) I पार्थिवोपासनेन. [ T1 com. takes पार्थिव as vocative]
BIS 876 (318 ) Bhartr. ed. Bohl. 2. 40. Haeb 89. Galan 51; Satakav. 90;
SRB. p. 152394; SBH. 3229; SRK. p. 122 11 ( BL. ) ; SL. f. 48b; SKG. f. 22a
a
67ed is missing in X1.
T3 ईह्यते - 4 ) A2 येतुं ( for नेतुं ).
67 4 ) X2 नागं ( for व्यालं ). B1 अलं ( for असौ ). X Y1 समुत्कंठते ( for 'जम्भते).
6) J2 Y8 छेत्तं ( for भेत्तं ). F4 X Y ( except Y3.7 ) T1 G2. 4 वज्रमणिं. C संबध्यते;
Est_F I Y1. 36-8 T G1.20.35 M1 - 3 संनयति.
c)
A0. 1. 8 मधुबिंदुनो. D रचयतुं. Eit F+ क्षीरांबुधेर्.
A3 W1-3. 4 (orig. ) transp. सतां and खलान्. 12 यस्तु सत्पथि; J2 यस्य तान्प्रति ( for
यः सतां पथि ). J1 ( corrupt, apparently ) स तान्प्रति खलान्. W ( by corr.) Y2.4-4 'T'
GB (orig. ). 4 M3.5 मूर्खान्यः (Y4.5.7 °खें यः ) प्रतिनेतुमिच्छति; Y1 G1 2 3 ( by corr. ), 5
).
M1. 2. 4 मूर्खान्यः पथि (Go परि-) नेतुमिच्छति ( for नेतुं पथि ). Fs मुक्तान्; W+ ( by corr. )
–
Y2.4 - 8 T G15 M3.5 बलात्; Y1 G2.3 M1. 2. 4 सतां ; G+ नरः ( for खलानू). Is सदा
साधुभिः; Y1 (c.v. as in text ) सुधास्पर्धिभिः.
BIS. 6330 (2920) Bhartṛ. ed. Bohl, and lith. ed. II. 2. 6. Haeb. 90. lith. ed.
I. 5. Galan 8; SRB. p. 41. 67; SRK. p. 34. 4 (Blı.); Vairāgyaśataka of Padmā-
nanda ; SS.D. 2. f. 131b.
·
68_¬) Fg W1–3.4 (orig. as in text) 'गुणं; Tie.v. ॰ कृतं ( for हितं). — 4 ) Est It
भूषणम्; X8 छादयम् (for छादनम् ). J10 अभिज्ञतायाः ( for अज्ञ ). c) C सर्गविदां;
Jit सर्वमिदं ( for 'विदां). – ) W (orig.) भौमम् (for मौनम्).
BIS. 7352 (3340 ) Bhartr. cd Bohl. and lith ed. 11. 2. 7. Haeb. 91. lith, ed.
I. 6. Galan 9. Satakāv 91 ; SRE. p. 86. 3; SBH. 2382 ; SRK. p. 79. 2 ( Bh. ) ;
SSD. 2 f 132b; SKG fbb.
Praganda
www
तत् तेजस्वी पुरुषः परकृतनिकृतिं कथं सहते ॥ ६५ ॥
आज्ञा कीर्तिः पालनं ब्राह्मणानां दानं भोगो मित्रसंरक्षणं च ।
येषामेते षड् गुणा न प्रवृत्ताः कोऽर्थस् तेषां पार्थिवोपाश्रयेण ॥ ६६ ॥
व्यालं बालमृणालतन्तुभिरसौ रोडुं समुज्जृम्भते
भेत्तुं वज्रमणीञ् शिरीषकुसुमप्रान्तेन संनह्यते ।
माधुर्यं मधुबिन्दुना रचयितुं क्षाराम्बुधेरीहते
नेतुं वाञ्छति यः सतां पथि खलान् सूक्तैः सुधास्यन्दिभिः ॥ ६७ ॥
स्वायत्त मेकान्तहितं विधात्रा विनिर्मितं छादनमज्ञतायाः ।
विशेषतः सर्वविदां समाजे विभूषणं मौनमपण्डितानाम् ॥ ६८ ॥
Ao - 2 - निकषं; Com.; Eim.v. Gat. 4 -निकृतं; 12.5J2.3 W1-3 M3 - विकृतिं; J1 -निजकृतं; X 1
- निहतिं ( for निकृतिं ). W ½ (sec. m. ) G1 M1 - 3.5 कथं नु; 13 कथं तु ( for कथं ). B Eo - 2.5
F1.6 H J2 Y 3 सहतां; J1 broken (for सहते ).
२७
BIS. 5173 (2336 ) Bhartr ed. Bohl. 2. 30. Haeb 88 lith ed. I and II. 37.
Galan 40; SRB. p. 79.15; SRK. p. 49. 6 ( Bh. ) ; S.K. 2.
SMV. 28.20.
108 ; SS.D. 2. f. 103a;
66 2 ) A3EI X सज्जनानां; B पुण्यभाजां (for ब्राह्मणानां ). 8 ) G3 भोगो मित्रः
( for दानं भोगो ). Y: मित्रसंतर्पणं; Ga पुण्यसंरक्षणं; G) नित्य (for मित्र ). – ') IF2 Js Ta
J3
Gat M3. + एषाम् (for येषाम् ). B Fs सद्हणा ( for षडणा). X संप्रवृत्ताः; M..2.4 न प्रसिद्धाः
( for न प्रवृत्ताः ). - a ) I पार्थिवोपासनेन. [ T1 com. takes पार्थिव as vocative]
BIS 876 (318 ) Bhartr. ed. Bohl. 2. 40. Haeb 89. Galan 51; Satakav. 90;
SRB. p. 152394; SBH. 3229; SRK. p. 122 11 ( BL. ) ; SL. f. 48b; SKG. f. 22a
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T3 ईह्यते - 4 ) A2 येतुं ( for नेतुं ).
67 4 ) X2 नागं ( for व्यालं ). B1 अलं ( for असौ ). X Y1 समुत्कंठते ( for 'जम्भते).
6) J2 Y8 छेत्तं ( for भेत्तं ). F4 X Y ( except Y3.7 ) T1 G2. 4 वज्रमणिं. C संबध्यते;
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c)
A0. 1. 8 मधुबिंदुनो. D रचयतुं. Eit F+ क्षीरांबुधेर्.
A3 W1-3. 4 (orig. ) transp. सतां and खलान्. 12 यस्तु सत्पथि; J2 यस्य तान्प्रति ( for
यः सतां पथि ). J1 ( corrupt, apparently ) स तान्प्रति खलान्. W ( by corr.) Y2.4-4 'T'
GB (orig. ). 4 M3.5 मूर्खान्यः (Y4.5.7 °खें यः ) प्रतिनेतुमिच्छति; Y1 G1 2 3 ( by corr. ), 5
).
M1. 2. 4 मूर्खान्यः पथि (Go परि-) नेतुमिच्छति ( for नेतुं पथि ). Fs मुक्तान्; W+ ( by corr. )
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Y2.4 - 8 T G15 M3.5 बलात्; Y1 G2.3 M1. 2. 4 सतां ; G+ नरः ( for खलानू). Is सदा
साधुभिः; Y1 (c.v. as in text ) सुधास्पर्धिभिः.
BIS. 6330 (2920) Bhartṛ. ed. Bohl, and lith. ed. II. 2. 6. Haeb. 90. lith. ed.
I. 5. Galan 8; SRB. p. 41. 67; SRK. p. 34. 4 (Blı.); Vairāgyaśataka of Padmā-
nanda ; SS.D. 2. f. 131b.
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68_¬) Fg W1–3.4 (orig. as in text) 'गुणं; Tie.v. ॰ कृतं ( for हितं). — 4 ) Est It
भूषणम्; X8 छादयम् (for छादनम् ). J10 अभिज्ञतायाः ( for अज्ञ ). c) C सर्गविदां;
Jit सर्वमिदं ( for 'विदां). – ) W (orig.) भौमम् (for मौनम्).
BIS. 7352 (3340 ) Bhartr. cd Bohl. and lith ed. 11. 2. 7. Haeb. 91. lith, ed.
I. 6. Galan 9. Satakāv 91 ; SRE. p. 86. 3; SBH. 2382 ; SRK. p. 79. 2 ( Bh. ) ;
SSD. 2 f 132b; SKG fbb.
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