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नीतिश्लोकाः
 
नित्यव्यया प्रचुरनित्यधनागमा च
वाराङ्गनेव नृपनीतिरनेकरूपा ॥ ५९ ॥
 
न कश्चिच् चण्डकोपानामात्मीयो नाम भूभुजाम् ।
होतारमपि जुह्वन्तं स्पृष्टो दहति पावकः ॥ ६० ॥
अकरुणत्वमकारणविग्रहः परधनापहतिः परयोषितः ।
खजनबन्धुजनेष्वसहिष्णुता प्रकृतिसिद्धमिदं हि दुरात्मनाम् ॥ ६१ ॥
आरम्भगुर्वी क्षयिणी क्रमेण लध्वी पुरा वृद्धिमती च पश्चात् ।
 

 
२५
 
नित्याव्यया; C M3 नित्यव्यथा; J1 (636 नित्यंव्यथा (for नित्यव्यया). Eat I प्रचुरनित्यसमा
गमा; F4 °मित्रधनागमा; M3 दिव्यधनागमा. — ) A0-2 1 Wit वेश्यांगनेव ( for वाराङ्ग ).
4 F
F2 नृपवृत्तिर् (for नृपनीतिर् ).
 
BIS. 6739 ( 3132 ) Bhartr. ed. Bohl. 2. 39. Hacb. 73 lith ed. I. 46, II. 47.
Galan 50. Pañc. ed. Koscg. I. 473. ed. Bomb. 425. Hit. ed. Sehl. II. 174.
ed. Johns. 182. Prasangabh. 7; SRE. p. 152. 404; SRK. p. 122 10 ( Hit.) ;
Tantrākhyāyikā 1. 185 ; Edgerton 1. 177; SMV. 20. 16; JSV. 119. 4.
 
a
 
60 Om in J3.
 
" ) F2 न कोपि; Gat न कच्चिच्. Fit.v. चंडरूपाणाम्; Fo
दंडकोपानाम्; J1 चंडकोपान; J: चंडकोपो ( for चण्डकोपानाम् ) – 1) J1 नात्मियो; Ja
J2
नातियो ( for आत्मीयो ). J2 न च; Y० [5] न्यो न ( for नाम ). Ha Y3 भूभृतां ( for
भूभुजाम्) -) G2t हेतारम्. BCD F1-35 H J1 W Y 1. 3 -8 T G1-35 M जुह्वानं; F4
जुह्वानां; J2 जुष्टानं; Y: जिह्वानां; G+ जुह्वाभि ( for जुह्वन्तं ). [ Hi com. जुह्वानमपि =
2
जुहंतमपि ] Eo. 1.6 होतारं जुह्वतमपि ; X Yie.v. जुहंतमपि होतारं ) 1) स्पृष्ट्वा ( for स्पृष्टो).
A8 स्पृष्टो न दहति पावकः (hypermetric and wrong meaning ) ; F1 2 दहत्येव हि पावकः.
 
d
 
BIS. 3184 (1343 ) Bhartr ed. Bobl. 2. 47. Hacb 74 lith ed. I and III. 56.
Galan 60; Sp. 1376 ( Bh. ) ; SRB. p. 146 160; SBIH. 2799 ( Paiñc. ); SRH 59.1
(
(Vallabhadeva) ; SRK. p. 123 12 ( Bh. ) ; SHV. f. 104b 41; SK. f. 145a ; SM.
1553; SMV. 2017 ; SSV. 1526; JS. 463.
 
61 Om. in BORI 329 and Māgali Krishna Sastri's Kanarese Edn.
Bangalore (1924). D order cdab. a) G2 कारणत्वम् (for अकरुणत्वम् ). Ja Y3
-निग्रहः (for -विग्रहः). 4 ) Fs परधनोपहृति: A परदोषिता ( for योषितः ). BE
 
( except E2 ) F1 H I परधनाय ( F1 °ने च ) रतिः परयोषिति; परधने स्पृहते परदोषतः;
D परधनापरतिः परयोषितां; F2 W X Y 1, 2 4-7 T GM परधने परयोपिति च स्पृहा; F3. 4 J
Y8 परधनस्य हृतिः (J2 रतिः ; J3 हृतः ; Y: भृतिः) परयोषितां. [ Text as in E3 Ys only.]
●) C F1-3 J1.2 $ (except G+ M5 ) सु - ( for स्व- ). CW2. 3 - जनेपि (for - जनेषु ) .
- 4) Ba E2 प्रकृतसिद्धम् B1 ह्यमहात्मनां.
 
How Artech
 
W
 
BIS. 3 (1) Bhartr. ed. Bohl. 2. 42. Haeb. 76, lith. ed. I. 51, II. 52. Galan
55. Samskrtapāthop. 62 ; SRB. p. 59.217; SRK. p. 26.53 ( Bh. ) ; SSD. 2. f. 126b.
 

 
62 2 ) A3 C JY 1 प्रारंभ A2DF + I J1 W X Y 2 G1 M3 क्षयणी ( for क्षयिणी ).
- 3 ) A0 – 2 तन्वी; M5 लघू: ( for लघ्वी ). Y6.0 पुरो- ( for पुरा ). B1 J2 W2-4 Y14
बुद्धिमतीव; W1Y4. 8T1G16 M1 3 वृद्धिमुपैति; X2 वृद्धिमयी च (for 'मती च ) . - °) Est
भ. सु.