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२४
भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
तद् धीरो भव वित्तवत्सु कृपणां वृत्तिं वृथा मा कृथाः
कृपे पश्य पयोनिधावपि घटो गृह्णाति तुल्यं जलम् ॥ ५६ ॥
लाङ्गूलचालनमधश् चरणावपातं
भूमौ निपत्य वदनोदरदर्शनं च ।
श्वा पिण्डदस्य कुरुते गजपुंगवस् तु
धीरं विलोकयति चाटुशतैश् च भुते ॥ ५७ ॥
राजन् दुधुक्षसि यदि क्षितिधेनुमेनां
तेनाद्य वत्समिव लोकमिमं पुषाण ।
तस्मिंश् च सम्यगनिशं परिपोष्यमाणे
नानाफलैः फलति कल्पलतेव भूमिः ॥ ५८ ॥
सत्यानृता च परुषा प्रियवादिनी च
हिंस्रा दयालुरपि चार्थपरा वदान्या ।
Fs I W ततो नाधिकं ( for च नातोऽधिकम् ). - °) Wa - + त्वं ( for तद् ). Fo बहु - (for भव).
.
A I चि ( A2 वि ) त्तवृत्तिकृपणां; Fs वित्तवत्सु कृपर्णी. Ao.1.3 चित्ते व्यथां; A2 चित्ते वृथा
( for वृतिं वृथा ). – d) Wat पयः (for जलम्).
BIS. 5267 ( 2386 ) Bhartr. ed. Bobl. 2. 41. Haeb. 70 lith ed. I and III. 48,
II. 49. Galan 52; SRB. p. 93.99; SRK. p. 71. 9 (ST); SHV. f. 63b, 790; SN.
806; SL. f. 37a; SSV. 335; SKG. f. 18a.
57 Om in. BORI 329. a) Y1 चरणोपपातं; T1. 2 Gs चरणावघातं ( for वरणाव-
पातं). - 6 ) M3 निपात्य. C चरणोदर; D वदनोपर. - °) C गजवस्तुभिश्व; M4 मदवारणस्तु
( for गजपुंगवस्तु ). - ) A10 धीरौ or धीरो ( for धीरं ). Fs चाटु शनैश्च; Js बाहुशतेन (for
चाटुशतैश्च ). Ait भुक्तेः; Ms भुक्तैः.
Ja
BIS. 5845 (2663) Bhartr. ed. Bohl. 2. 26. Haeh. 71. lith. ed. I, II and
Galan 31. Paiñc. ed orn. I. 14. Hit. II. 40. ed. Cal. p. 188. ed. Rodr. p. 161; SRB.
p. 231.71; SBH. 641; SRK. p. 78. 8 ( Bh. ) ; Tantrākhyāyikā I 8; Edgerton I. 10;
SL. f. 42a; SSD. 2. f. 42a.
a
3
58 9 ) Fo बुभुक्षसि; J1 दुधक्षसि. A3 B D E3. 8 F1 2 4 H10 I Y1-8 G2. 4 एतां (for
एनां). . 1 ) Eo. 1.5 तेनोय; Ao. 8 Eo. 1. 3c. 6 X Y1. 3 - 8 I'1. 2 अमुं; Jat इहं ( for इमं ). - )
Eo. 1 8 I X Y 1, 4, 5 तस्मिंस्तु; F1 यस्मिंश्च. As J1.3 Y2. 4.8 TG5 M1. 24 परिपुष्यमाणे; DF1
परिपाल्यमाने; F+ (m.v. as in text ) Yit. 6.6 °तोष्यमाणे; J2 'घस्यमाणे; Wt 'तुष्यमाणे. - * )
B Eo. 1. 5 ( and Ec ) F2. 8 J1 2 G2 - फला; D J3 Y ( except Y1 ) TG1. 8 - 5 M - फलं ( for
-फलैः ). Eat कामलदेव ( perhaps mispronunciation of कामलतेव (for कल्पलतेव). Jit
भूमौ.
BIS. 5740 (2602) Bhartr ed. Bohl. 2. 38. Haeb. 72 lith ed. I and III. 45,
II. 46. Galan 49; SEB. p. 152 405; SRK. P. 122. 9 (ST.).
59 ) G+ lacuria for रुषा to दयालु ( in 1 ).
( for परुषा). D घ्रीयवादिनी च; Fo
4) CIY हिंसा ( for हिंसा ).
E2t F3 Jit X1 G2t पुरुषा;
° We परुष-
मृदुवादिनीव; T1A प्रियभाविणी च;
T1A प्रियभाषिणी च; G1 Ms 'वादिता च.
Jit वधन्यः; J10 वदान्यः (for वदाम्या). - ) Aa Bit
भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
तद् धीरो भव वित्तवत्सु कृपणां वृत्तिं वृथा मा कृथाः
कृपे पश्य पयोनिधावपि घटो गृह्णाति तुल्यं जलम् ॥ ५६ ॥
लाङ्गूलचालनमधश् चरणावपातं
भूमौ निपत्य वदनोदरदर्शनं च ।
श्वा पिण्डदस्य कुरुते गजपुंगवस् तु
धीरं विलोकयति चाटुशतैश् च भुते ॥ ५७ ॥
राजन् दुधुक्षसि यदि क्षितिधेनुमेनां
तेनाद्य वत्समिव लोकमिमं पुषाण ।
तस्मिंश् च सम्यगनिशं परिपोष्यमाणे
नानाफलैः फलति कल्पलतेव भूमिः ॥ ५८ ॥
सत्यानृता च परुषा प्रियवादिनी च
हिंस्रा दयालुरपि चार्थपरा वदान्या ।
Fs I W ततो नाधिकं ( for च नातोऽधिकम् ). - °) Wa - + त्वं ( for तद् ). Fo बहु - (for भव).
.
A I चि ( A2 वि ) त्तवृत्तिकृपणां; Fs वित्तवत्सु कृपर्णी. Ao.1.3 चित्ते व्यथां; A2 चित्ते वृथा
( for वृतिं वृथा ). – d) Wat पयः (for जलम्).
BIS. 5267 ( 2386 ) Bhartr. ed. Bobl. 2. 41. Haeb. 70 lith ed. I and III. 48,
II. 49. Galan 52; SRB. p. 93.99; SRK. p. 71. 9 (ST); SHV. f. 63b, 790; SN.
806; SL. f. 37a; SSV. 335; SKG. f. 18a.
57 Om in. BORI 329. a) Y1 चरणोपपातं; T1. 2 Gs चरणावघातं ( for वरणाव-
पातं). - 6 ) M3 निपात्य. C चरणोदर; D वदनोपर. - °) C गजवस्तुभिश्व; M4 मदवारणस्तु
( for गजपुंगवस्तु ). - ) A10 धीरौ or धीरो ( for धीरं ). Fs चाटु शनैश्च; Js बाहुशतेन (for
चाटुशतैश्च ). Ait भुक्तेः; Ms भुक्तैः.
Ja
BIS. 5845 (2663) Bhartr. ed. Bohl. 2. 26. Haeh. 71. lith. ed. I, II and
Galan 31. Paiñc. ed orn. I. 14. Hit. II. 40. ed. Cal. p. 188. ed. Rodr. p. 161; SRB.
p. 231.71; SBH. 641; SRK. p. 78. 8 ( Bh. ) ; Tantrākhyāyikā I 8; Edgerton I. 10;
SL. f. 42a; SSD. 2. f. 42a.
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58 9 ) Fo बुभुक्षसि; J1 दुधक्षसि. A3 B D E3. 8 F1 2 4 H10 I Y1-8 G2. 4 एतां (for
एनां). . 1 ) Eo. 1.5 तेनोय; Ao. 8 Eo. 1. 3c. 6 X Y1. 3 - 8 I'1. 2 अमुं; Jat इहं ( for इमं ). - )
Eo. 1 8 I X Y 1, 4, 5 तस्मिंस्तु; F1 यस्मिंश्च. As J1.3 Y2. 4.8 TG5 M1. 24 परिपुष्यमाणे; DF1
परिपाल्यमाने; F+ (m.v. as in text ) Yit. 6.6 °तोष्यमाणे; J2 'घस्यमाणे; Wt 'तुष्यमाणे. - * )
B Eo. 1. 5 ( and Ec ) F2. 8 J1 2 G2 - फला; D J3 Y ( except Y1 ) TG1. 8 - 5 M - फलं ( for
-फलैः ). Eat कामलदेव ( perhaps mispronunciation of कामलतेव (for कल्पलतेव). Jit
भूमौ.
BIS. 5740 (2602) Bhartr ed. Bohl. 2. 38. Haeb. 72 lith ed. I and III. 45,
II. 46. Galan 49; SEB. p. 152 405; SRK. P. 122. 9 (ST.).
59 ) G+ lacuria for रुषा to दयालु ( in 1 ).
( for परुषा). D घ्रीयवादिनी च; Fo
4) CIY हिंसा ( for हिंसा ).
E2t F3 Jit X1 G2t पुरुषा;
° We परुष-
मृदुवादिनीव; T1A प्रियभाविणी च;
T1A प्रियभाषिणी च; G1 Ms 'वादिता च.
Jit वधन्यः; J10 वदान्यः (for वदाम्या). - ) Aa Bit