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नीतिश्लोकाः ।
मज्जत्वम्भसि यातु मेरुशिखरं
शत्रूञ जयत्वाहवे
वाणिज्यं कृषिसेवनादि सकला विद्याः कलाः शिक्षतु ।
आकाशं विपुलं प्रयातु खगवत् कृत्वा प्रयत्नं परं
नाभाव्यं भवतीह कर्मवशतो भाव्यस्य नाशः कुतः ॥४८॥
नेता यस्य बृहस्पतिः प्रहरणं वज्रं सुराः सैनिकाः
स्वर्गो दुर्गमनुग्रहः खलु हरेरैराचुणो वारणः ।
इत्याश्चर्यबलान्वितोऽपि बलभिद् भग्नः परैः संगरे
तद् युक्तं ननु दैवमेव शरणं धिग् धिग् वृथा पौरुषम् ॥४९॥
२१
48 ") W2.8 मज्जति ( for मज्जतु ). ACF2 मेरुशिखरे BC E1 - 8 50 F2 4 I Jit. 9
X Y1 (printed text ) M4 शत्रु ; Y2 शूरं ; Y2.6 G2. 3 शक्त्या (for शत्रूञ् ). Jit X2 जयति;
M3 जहीतु ( for जयतु ) . - 4 ) A Ic We वाणिज्या; Y2 वाणिजं. F+ कृतसेवनादि; W30
कृशसेवनादि; X G1 M कृषिसेवनं च; Yo T सेवने च; Y8 कृषिमप्युपैतु (for 'सेवनादि ). J3 Ya
X
Y:
G1 M8 सकलं (for सकला ). CFI Y2 विद्याकला: ; X1 विद्याः खलाः. D सिक्षतु; W1.3t. 2
शिक्षिताः; Ms. 4 शिक्षितु. A विद्याः समभ्यस्यतु; J1 विद्याकलाशिक्षितं (com. 'तु). [Gram-
matically and metrically correct form fraai is nowhere found. ] - ) Ji transp.
-
विपुलं and खगवत्. A1 प्रयाति. Ma त्यक्त्वा ( for कृत्वां ). W1 प्रयतो . Eo - 2 ( and Ec ) पुनर्
Est पुमान्; J1 परा;
W1.4 महान्; W3. 3t
M3
महत्; परान्; Ms वरं ( for परं). ') Ja
नाभव्यं. C भव्यस्य; F2 J1W4 Y1 भावस्य ( for भाव्यस्य ). Est नाशो न तु; J2 नाशं कुतः;
J8 नाशः कृतः ; Yr नाशं कृतः . [ Ao. 1 धाणिज्याकृषिसेवनादिसकला is treated as a compound
word; com. करसणसेवा प्रमुष समस्त विद्या. In E कृषिसेवमादि is a separate word. ]
BIS. 4654 (2085) Bhartr ed. Bohl. 2. 91. Haeb 57 lith ed. I. 99, II. 101.
Galan 95, Satakāv. 86; Sp. 438 ( Bh. ) ; SRB. p. 94. 116; SRK. p. 72, 20 ( Bh. ) ;
SHV. f. 63b, 79b; SS. 46. 20 ; SSD. 4. f. 5a; SKG. f. 18a.
BEo.at, 2–4, st F
. 6) Yo असंग्रहः; G4
Yr G+ स्वर्ग.
I J Ws. 4 Y1 यत्र ( for यस्य ). X2
F Yr (
W 2.8 अनिग्रहः;
49 a ) X 2 नैता ( for नेता ).
Est किंकरा: ( for सैनिकाः ). – 1)
सुरा.
अनुग्रई. W किल ( for खलु ) .
( for 'वणो ). Aot Eat वारुण: ;
J2.8 Y1A.7 T3 रावण: ; X Y 2. 6
corr. ). 8 X Y1 इत्यैश्वर्यबला (Est °सम) न्वितो; F० इत्यैश्वर्यवभान्वितो; It इत्याश्चर्यसमन्वितो;
M8 उचैरश्वबलान्वितो. Ms सुरविराडू (for ऽपि बलभिद् ). A Ea W2-4 बलिभिर्; Ba D Est
Eo. 10. 50 मघवान्; Eot. at बलवान्; It Ji बलिभिदु; M4 सुरराइ
D E F 3 - 5 W Y ( except Y1 7 ) T1B G1-4M ऐरावतो
Est F1 ( by corr. ) J1W1G1M 3 वाहनः; F2. 4 ( orig. )
G1 M1.2.45 वाहनं ( for वारणः ). c ) BE W1 ( by
F2 - 6 Io W 1 X
मघवा; Ba
( for बलभिदू ).
As भग्नं.
d) B Eo.1.3.3 (and Ec ) F5HIW X1 Y ( except Y2 )
T G8-8 तब्यक्तं; Ma तद्ब्युक्तं ( for तधुक्तं ). C मम; G± बत ( for ननु ). W व ( W+प ) रमेव
दैव- (for ननु दैवमेव). "D M4. 5 हि परं; X 3 * नृणां ( for श णं). Esom. the first धिग्.
Ys वृद्धौ क्षये कारणं ( for घिगू धिगू वृथा पौरुषम् ).
W
BIS. 3815 (1643 ) Bhartr ed. Bohl. 2. 85. Haeb. 59. lith ed. I. 87, II. 88.
Galan 89 Vikramacaritra 172; SRB. p. 93. 100; SBH. 3151; SRK. p. 7110
(Śp.) ; ātmānuśāsana Kāvya ; SN 803; SSD 4. f 3&; SSV 293; SL 4. 36b,
मज्जत्वम्भसि यातु मेरुशिखरं
शत्रूञ जयत्वाहवे
वाणिज्यं कृषिसेवनादि सकला विद्याः कलाः शिक्षतु ।
आकाशं विपुलं प्रयातु खगवत् कृत्वा प्रयत्नं परं
नाभाव्यं भवतीह कर्मवशतो भाव्यस्य नाशः कुतः ॥४८॥
नेता यस्य बृहस्पतिः प्रहरणं वज्रं सुराः सैनिकाः
स्वर्गो दुर्गमनुग्रहः खलु हरेरैराचुणो वारणः ।
इत्याश्चर्यबलान्वितोऽपि बलभिद् भग्नः परैः संगरे
तद् युक्तं ननु दैवमेव शरणं धिग् धिग् वृथा पौरुषम् ॥४९॥
२१
48 ") W2.8 मज्जति ( for मज्जतु ). ACF2 मेरुशिखरे BC E1 - 8 50 F2 4 I Jit. 9
X Y1 (printed text ) M4 शत्रु ; Y2 शूरं ; Y2.6 G2. 3 शक्त्या (for शत्रूञ् ). Jit X2 जयति;
M3 जहीतु ( for जयतु ) . - 4 ) A Ic We वाणिज्या; Y2 वाणिजं. F+ कृतसेवनादि; W30
कृशसेवनादि; X G1 M कृषिसेवनं च; Yo T सेवने च; Y8 कृषिमप्युपैतु (for 'सेवनादि ). J3 Ya
X
Y:
G1 M8 सकलं (for सकला ). CFI Y2 विद्याकला: ; X1 विद्याः खलाः. D सिक्षतु; W1.3t. 2
शिक्षिताः; Ms. 4 शिक्षितु. A विद्याः समभ्यस्यतु; J1 विद्याकलाशिक्षितं (com. 'तु). [Gram-
matically and metrically correct form fraai is nowhere found. ] - ) Ji transp.
-
विपुलं and खगवत्. A1 प्रयाति. Ma त्यक्त्वा ( for कृत्वां ). W1 प्रयतो . Eo - 2 ( and Ec ) पुनर्
Est पुमान्; J1 परा;
W1.4 महान्; W3. 3t
M3
महत्; परान्; Ms वरं ( for परं). ') Ja
नाभव्यं. C भव्यस्य; F2 J1W4 Y1 भावस्य ( for भाव्यस्य ). Est नाशो न तु; J2 नाशं कुतः;
J8 नाशः कृतः ; Yr नाशं कृतः . [ Ao. 1 धाणिज्याकृषिसेवनादिसकला is treated as a compound
word; com. करसणसेवा प्रमुष समस्त विद्या. In E कृषिसेवमादि is a separate word. ]
BIS. 4654 (2085) Bhartr ed. Bohl. 2. 91. Haeb 57 lith ed. I. 99, II. 101.
Galan 95, Satakāv. 86; Sp. 438 ( Bh. ) ; SRB. p. 94. 116; SRK. p. 72, 20 ( Bh. ) ;
SHV. f. 63b, 79b; SS. 46. 20 ; SSD. 4. f. 5a; SKG. f. 18a.
BEo.at, 2–4, st F
. 6) Yo असंग्रहः; G4
Yr G+ स्वर्ग.
I J Ws. 4 Y1 यत्र ( for यस्य ). X2
F Yr (
W 2.8 अनिग्रहः;
49 a ) X 2 नैता ( for नेता ).
Est किंकरा: ( for सैनिकाः ). – 1)
सुरा.
अनुग्रई. W किल ( for खलु ) .
( for 'वणो ). Aot Eat वारुण: ;
J2.8 Y1A.7 T3 रावण: ; X Y 2. 6
corr. ). 8 X Y1 इत्यैश्वर्यबला (Est °सम) न्वितो; F० इत्यैश्वर्यवभान्वितो; It इत्याश्चर्यसमन्वितो;
M8 उचैरश्वबलान्वितो. Ms सुरविराडू (for ऽपि बलभिद् ). A Ea W2-4 बलिभिर्; Ba D Est
Eo. 10. 50 मघवान्; Eot. at बलवान्; It Ji बलिभिदु; M4 सुरराइ
D E F 3 - 5 W Y ( except Y1 7 ) T1B G1-4M ऐरावतो
Est F1 ( by corr. ) J1W1G1M 3 वाहनः; F2. 4 ( orig. )
G1 M1.2.45 वाहनं ( for वारणः ). c ) BE W1 ( by
F2 - 6 Io W 1 X
मघवा; Ba
( for बलभिदू ).
As भग्नं.
d) B Eo.1.3.3 (and Ec ) F5HIW X1 Y ( except Y2 )
T G8-8 तब्यक्तं; Ma तद्ब्युक्तं ( for तधुक्तं ). C मम; G± बत ( for ननु ). W व ( W+प ) रमेव
दैव- (for ननु दैवमेव). "D M4. 5 हि परं; X 3 * नृणां ( for श णं). Esom. the first धिग्.
Ys वृद्धौ क्षये कारणं ( for घिगू धिगू वृथा पौरुषम् ).
W
BIS. 3815 (1643 ) Bhartr ed. Bohl. 2. 85. Haeb. 59. lith ed. I. 87, II. 88.
Galan 89 Vikramacaritra 172; SRB. p. 93. 100; SBH. 3151; SRK. p. 7110
(Śp.) ; ātmānuśāsana Kāvya ; SN 803; SSD 4. f 3&; SSV 293; SL 4. 36b,