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नीतिश्लोकाः ।
 
चेतः प्रसादयति दिनु तनोति कीर्ति
सत्संगतिः कथय किं न करोति पुंसाम् ॥ ४२ ॥
वाञ्छा सज्जनसंगमे परगुणे प्रीतिर्गुरौ नम्रता
विद्यायां व्यसनं स्वयोषिति रतिर्लोकापवादाद् भयम् ।
भक्तिः शूलिनि शक्तिरात्मदमने संसर्गमुक्तिः खले
एते येषु वसन्ति निर्मलगुणास् तेभ्यो ऽपरेभ्यो नमः ॥४३॥
तृष्णां छिन्धि भज क्षमां जहि मदं पापे मतिं मा कृथाः
सत्यं ब्रूनुयाहि साधुपदवीं सेवस्व विद्वज्जनान् ।
मान्यान् मानय विद्विषोऽप्यनुनय प्रच्छादय खान् गुणान्
कीर्तिं पालय दुःखिते कुरु दयामेतत् सतां चेष्टितम् ॥४४॥
 
*
 
१९
 
BIS. 2376 ( 955 ) Bhartr ed. Bohl. 2. 20. Haeb 48 lith ed. 1. 22. Galan 23.
Samskrtapāthop. 62. Subhāsh. 300; SRE. p. 87.29; SRK. p. 88. 1 (Bh.); SA.
24.81; SS. 29 5; SK. 2. 191; PT. 1.58; SSD. 2. f. 114); SMV. 9.60.
 
Be
 
43 4 ) J3 Y2. 4 - 8 T G2.3.5 °संगतो ( for संगमे ). A1.2 J2 ( t.v. as in text )
बुधजने ( for परगुणे). – ° ) B1 Eo. 1. 5 ( and Ec ) I चार्हति ; J3 Yo M चक्रिणि (for शूलिनि).
5
J2 भक्तिर् ( for शक्तिर्). Est पदने ( for दमने ). B1Y+G3. 4 खलेषु ; J Y5 - 8 TG1.2.5
M1. 3 – 5 खलैर् (for खले ). – 4 ) J1 Y7 ये ते; X X 1. 2 ह्येते ( for एते ). Y1 यत्र ( for येषु ).
C E5
 
d.
 
W 1.3 M येष्वेते निवसंति; D ये तेषु वसंति; W2. 4 ये श्वेतेषु नरेषु ( for एते येषु वसन्ति ).
A0-2 लेभ्यः परेभ्यो नमः; A3 B C D E F1 4-5 H I W X Y1. 3.8 M1. 2. 4. 5 तेभ्यो नरेभ्यो
नमः; F2 J3 Y2, 4 – 1 T G तेभ्यो महद्भ्यो नमः; J1.2 Tic.v. तैरेव भूर्भूषिता; Ma तेष्वेव
लोकस्थितिः.
 
BIS. 6031 (2773) Bhartr. ed. Bohl. 2. 52. Haeb. 49. lith ed. I and III. 61,
II. 62. Galan 65. Saptaratna 1 (Haeb. p. 51). Kavyakal. and Kavyas. Prasan-
gābh. 8. Subhāsh. 159, 309 ; SRB. p. 53.259; SBH. 2944; SRK. p. 18.71 ( Bh.);
Mahānātak& 3. 37 ; VS. 345 (Bh.); SHV. app. I f. 9b. 42 ; SS. 6. 27 ; SK. 2.63;
PT.1.59; SSD. 2. f. 92b ; SSV. 31 ; JS. 12.
 
44 ") C सिंधि ( for छिन्धि ). Est जभ (by metathesis ) ; W2 (orig. ) 4 मज;
Wam.v. त्यज (for भज ). B F14 त्यज ( for जहि ). W2 पई ( for मदं ). W+ पॉपैर् ( for
पापे). N ( except A CI ) S ( except W2M+ 5 ) रतिं ( Y1 कृतिं ) ( for मतिं ). - 6 )
W2.8 स्वल्पं ( for सत्यं ). X साधुपदवी; G1 M2. 3 साधुचरितं. F1 सर्वस्व ( for सेवस्त्र ). Ba
CF5 Y6.8 T G1.2.6M विद्वजनं. वाक्यान्; G2. BM+5 मान्यं ( for मान्यान् ). C
[ अ ]नुनयन्; Hic.v. IG ½ [अ]पनय; Y7 व्यपनय ( for [अ] नुनय ). W 1 2 4 Y3-3 T G1-4
 
° ) T3
 

 
M1.8 प्रख्यापथ; W: प्रक्षापय;
 
Y1 ( A and B ) प्रच्छादयन्.
 
Y3 - 7T1.3 G2 - 4 M1 प्रश्रयं; Ys
 
G
 
स्वं शुभं (for स्वान्गुणान् ). – 4 ) F1 कीर्ती:; W+ X1 कीर्ति:
 
Fs.1t.v. J12 WM1.2 लक्षणं;
 
Y1 चेषितः; M4.5 भूषणं ( for चेष्टितम्).
 
BIS. 2597 (1051 ) Bhartr ed. Bohl. 2.70. Haeb. 51. lith ed. I and III. 76,
Hand. Galan 78; SRB. p. 53. 273; SRK. p. 37. 1 ( Sp. ) ; SS. 26.9; SU. 1441;
JSV. 18 23,