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१८
 
भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
नैवाकृतिः फलति नैव कुलं न शीलं
 
विद्यापि नैव न च यत्नकृतापि सेवा ।
भाग्यानि पूर्वतपसा किल संचितानि
 
काले फलन्ति पुरुषस्य यथैव वृक्षाः ॥ ४० ॥
ऐश्वर्यस्य विभूषणं सुजनता शौर्यस्य वाक्संयमो
ज्ञानस्योपशमः शमस्य विनयो वित्तस्य पात्रे व्ययः
अक्रोधस् तपसः क्षमा प्रभवितुर्धर्मस्य निर्व्याजता
सर्वेषामपि सर्वकारणमिदं शीलं परं भूषणम् ॥ ४१ ॥
जाड्यं धियो हरति सिञ्चति वाचि सत्यं
मानोन्नतिं दिशति पापमपाकरोति ।
 
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40
 
) X 2 भवति ( for फलति ). Wom.; X1 च शीलं ( for न शीलं). 6 ) AF14
HJ न चापि; W3 Y3 च नैव; Y8 M5 न चैव (for [अ]पि नैव ). F 1 नव - ; T2 च न ( for
न च ). C यत्रकृता च सेवा; F1 यौवनकृतापि सेवा.
M1 - 8 पुण्यानि (for भाग्यानि ).
B1 पूर्वजनुषा; X 2 पूर्वतपसां C Est J3 W1. 2 Y 3 – 4_T G_M
खलु; D बहु; J1.2 [अ] खिल-1
Ya. फल- ( for किल). W1 सेवितानि ( for संचि ). 4 ) X1 पुरणस्य (for पुरुषस्य). Es
यथेह; J1 च दैव-; X7 यदैव; M. यथा हि ( for यथैव ).
o
 
● ) G1
 
BIS. 3825 (1648) Bhartṛ, ed. Bohl. and lith. ed. I. 2. 94. Haeb. 45. lith. ed.
II. 96. Galan 98. Subhāsh. 108 Vikramacaritra 173, 263; SRB. p. 92.72
(Aśvaghoṣa); SBH. 3100 (Aśyaghoṣa); SRH. 34. 50 (var. Vidagdhajana-
vallabhā); SRK. p. 76 6 ( ST. ) ; Tantrākhyāyikā II, 115; cf. Garudamaha-
purāņa 113. 52 ( paraphrase in Upajati metre ) ; Prabandhacintāmani 3. 170;
SHV. f. 63b, 79b; SS. 46. 14; SL. f. 27a; SSD. 4. f. 4&; SMV. 8. 24; JSV.
262. 5, f. 299b (marg.).
 
41 Om. in Jodhpur 1, Mysore 582 - 2) Gs सुभूषणं ( for विभू ). Ba Eat
स्वजनता (for सुजनता ). E3 J1 सौर्यस्य; X Y 1 शूरस्य ( for शौर्यस्य ). - 6 ) J 1. 8 ज्ञानस्यो-
G1 M ज्ञानस्योपरमः ( M3 'तिः ). AH कुलस्य; B C D F3 S ( except G1 M3 )
E3e समस्य ( for शमस्य). 126 विभवस्य (for वित्तस्य ). C पात्रेपणं ( for पात्रे व्ययः ).
- ● ) Eot. 1t. 2 तपसां ( for तपसः ). W4 प्रभवितुं. J 1 निर्वाजिता. - 2 ) 0 सर्वेषामिह; X
सर्वस्यामपि (for सर्वेषामपि ). C कारणं परमिदं; X Gst.v. सर्वभूषणमिदं.
 
पशमं;
श्रुतस्य;
 
BIS. 1487 (581) Bhartr. ed. Bohl. 2. 80. Haeb. 46. lith ed. I and III. 81.
Galan 83. Prasangabh 3 Subhāsh. 180; SRB. p. 84.20; SBH. 3054; SRH. 180.
11 (Sarasvatikanthabharana ) ; SRK p. 14. 34, and p. 231. 6 ( Bh); Sūktāvali
1; SA. 8. 48; ST. 1. 51; SHV. app. I. f. 9b. 43; SM. 1353; 8SD. 2. f. 116b;
SSV. 1335; JS. 370.
 
;
 
Co
 
42 a ) F5 आंध्यं ( for जाड्यं ). Ao -2 शंसति; A8 यच्छति; W: सिंचत; T3 ( orig. )
सीदति ( for सिञ्चति ). W3 सत्यमानो (for वाचि सत्यं). Est transp. पापमपाकरोति (in ).
and दिक्षु तनोति कीर्ति (in °). (Gst चित्तं ( for चेतः ). Y8 प्रसारयति ( for प्रसाद ). Ma
करोति (for तनोति ). F ½ कीर्ति: – d ) Jat सत्संगमः ( for 'तिः).