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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
पापान् निवारयति योजयते हिताय
गुह्यं निगूहति गुणान् प्रकटीकरोति ।
आपगतं च न जहाति ददाति काले
सन्मित्रलक्षणमिदं प्रवदन्ति सन्तः ॥ ३१ ॥
 
मृगमीनसज्जनानां तृणजलसंतोषविहितवृत्तीनाम् ।
लुब्धकधीवरपिशुना निष्कारणवैरिणो जगति ॥ ३२ ॥
 
संतप्तायसि संस्थितस्य पयसो नामापि न ज्ञायते
 
मुक्ताकारतया तदेव नलिनीपत्रस्थितं राजते ।
 
31 4 ) B2H2 W1 Y2 पापं ( for पापानू). G1 (tv as in text ) यो यतते ( for
योजयते). Y7 विहाय; M2 हितानि; M+ हितं ये ( for हिताय ). ') B1 CF5 H J W X 2
 
&
 
Y3 - 0 गुह्यं च गृहति; D दोषं च गृहति; F2 गुह्यत्वगुह्यति; F3 दोषांश्च गृहति;
 
X1 गुह्यं च गुह्यति;
●) Ws. + आपद्गते.
 
X1. 2 G1 M+5 गुह्यानि गृहति; Gst गुह्यं च गृहयति; M3 गुह्यान्निगृहति.
Tsom. च.
A2om. ददाति. E1 ( orig. ) तथापि; W2. 4 जहाति;
 
d
 
4 ) Ba Jit Y8 तन्मित्र- ( for सन्मित्र-).
 
(
 
W2 [5]पि पुरुषे न; Y3 च निजहाति; Y+ 6 G2. 3 न विजहाति (for च न जहाति ).
 
Y1 तदाति ( Y1A ददाति as in text).
 
BIS. 4060 (1771 ) Bhartr ed. Bohl. 2. 64. Haeb 35 lith ed. I and III. 71.
Kavitāmrtak. 25. Prasaigābh. 13. Subhāsh. 307 ; SRB. p. 88. 18; SK. 6. 9;
SSD. 2. f. 113&; JSV. 214. 11.
 
32 6 ) Es 'विहीत ; F2 J2 °निहित ; T3 'निहीन' (for 'विहित ) – ●) D Fs X
T1A G8. 4 M1 - 4 °पिशुनानां; W2.4 °पिशुनो (for °पिशुना). a ) A0 - 2 B1 E0 -4 F3 I J1
निःकारण ( F3 णं ) वैरिणो ; Es F2 J8 S (except W3 X Y8. 4. 6 )
निष्कारणं वैरिणो. G½ भवंति ( for जगति ).
 
निष्कारणमेव वैरिणो; Fs
 
BIS. 4931 (2234 ) Bhartr. ed. Bohl. 2. 51. Haeb. 36. lith ed. I and II. 60.
Galan 64. Subhāsh. 307 ; SRB. p. 57.136 ( Bh. ) ; SBH 422 ( Bh. ) ; SRK. p. 27.
56 (Bh.); Sūktāvalī; Alaṁkārakaustubha (KM. 66, p. 314, second half only).
Kāvyānuśāsana of Vägbhaṭa 3 (KM. 43, p. 41); SA. 26. 60; VS. 884 (Bh.); SS.
27.9; SK f. 146b; SSD. 2. f. 159b; SSV 518.
 
33 Order in A3 is acbd.
 
a
 

 
● ) D F3 J S ( except W ) श्रूयते ( for ज्ञायते).
– 8 ) Ms बिसिनी (for नलिनी ). DJ Y2. 4 – 8 T G1 - 36 M1. 2 दृश्यते; G+ जायते; M3 - 6
लक्ष्यते ( for राजते ). ¬) 1) F W X Y 1.8 G+t. v. स्वात्यां; J Y 2. 4 - 8T GM अंत:- ( for
स्वातौ ). A3 सूक्तिसंपुटगतं; C D F I J3 W Y2. 36.7 T G3t 4 5 M4 °शुक्तिमध्यपतितं; J1.2 Y4.5
G1.2,80 M1 - 3.5 °शुक्तिकुक्षिपतितं (for 'शुक्तिसंपुटगतं). C D F3 J Wit, 4t Y2-4 TG_M
तन्मौक्तिकं जायते; Fs We मुक्ताफलं जायते; W 2. 3 तन्मौक्ति संजायते (for तज्जायते मौक्तिकं).
 
C
 
– 4 ) AC D Eo.1.2t.6 F1.8 Wa-गुण: ( for - गुणा: ). A3C D F1-4 W ( com. gloss or
reading ) X Y1 संसर्गतो ( for संवासतो). E3 संवासतो ( gloss संसर्गतो). H X Y 1 देहिनां;
W1 ज्ञायते (for जायते ). Fs I प्रायेणोत्तममध्यमाधमगुणाः (I॰ण :) संसर्गतो भूयते ( I संवासतो
जायते); J Y2 - 8 T GM प्रायेणाधममध्यमोत्तमजुषामेवंविधा वृत्तयः.