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नीतिश्लोकाः ।
 
या साधूंश् च खलान् करोति विदुषो मूर्खान् हितान् द्वेषिणः
प्रत्यक्षं कुरुते परोक्षममृतं हालाहलं तत्क्षणात् ।
तामाराधय चक्रिकां भगवतीं भोक्तुं फलं वाञ्छितं
 
हे साधो त्वमतो गुणेषु विपुलेष्वास्थां वृथा मा कृथाः ॥२९॥
 
कृमिकुलचितं लालाक्लिन्नं विगन्धि जुगुप्सितं
 
निरुपमरसप्रीत्या खादन् नरास्थि निरामिषम् ।
सुरपतिमपि श्वा पार्श्वस्थं विलोक्य न शङ्कते
 
न हि गणयति क्षुद्रो जन्तुः परिग्रहफल्गुताम् ॥ ३० ॥
 
१३
 
Om in BORI 326. a ) Ys बंधूंश् ( for साधूंश ). Ao - 2 खलवत्; C I
 
c
 
29
 
प्रखलान्; F3. 4 हि खलान्; J3 च बलात्; Wit स खलान्; Wit शकलान्. J1 या या साधुश्च
 
प्रकृतिरूपभवानीं;
 
B com.
 
-
 
बलात्करोति; J2
J2 या *** खलान्करोतु. 1) विदिशो; Y: विदुषां (for विदुषो). J2 मुख्यान्
( for मूर्खान्). – 4) X 2 प्रत्यक्षे ( for प्रत्यक्षं ). ") C D F3. 5 (orig. ) Y3 चंडिकां; F1. 2
शांकरीं; F+ वक्रतां; Ps ( by corr. ) चक्त्रिकां; J2 भत्तां; W X Y 1, 2, 4–4 T G M सकियां
( for चक्रिकां ). [ Ao. 1 com. चक्रिकां भगवतीं - कालचक्ररूपिणीं
चक्रिका - राजमण्डली; E com. चक्रिकां= चक्रेश्वरीं; I (marg. ) वक्त्रेव वत्रिका - सरस्वती;
Hcom. and I cou. चक्रिकां - चक्रेश्वरीं सरस्वतीं; J1. चक्रिकां - समस्तफलसमूहवनुलंथा;
W com. also gives अथ वा विपरीतं अस्मिन्मोहाब्धौ गुणेषु आस्था मा कृथा मा
कुरु च[व]क्रियां भगवतीमाराधय च[व]क्रेण विना अस्मिन्गुणे फलं न भवति ] Y० भोक्तु: (for
भोक्तुं ). (d ) is मोहाब्धौ ( for हे साधो ). BF6 G2. व्यसने; D त्वमृतो; E3 F3. 4 J
W_Y2.4–4 T G1.3. 5 M व्यसनैर् (for त्वमतो). A332 विकलषु ; C D Eo - 2. 5
Y1 8 Gst M1-4 विफलेषु (for विपुलेषु ). J विफलैः प्वास्थां; Ms विपुलैष्वास्थां.
in older Devanāgari ] E3 H2 W1. + X 2 Y1 [ आ ]स्था (for [आ ] स्थां). J2 वृथां.
 
5
 
;
 
-
 
F1. 4 J4 X
[पु फ
 
BIS. 5499 (2487) Bhartṛ ed. Bohl. and lith ed. I. 2. 96. Haeb. 32. lith. ed.
II. 98. Galan 100. Subhash 307; SRB. p. 93 97 ; SBH. 3074 ( Srivardhana);
SRK. p. 76 8 ( ST.).
 
Ba F3 HJ Y: स्वा ( Hie
 
+
 
3Q a ) CF1~4 J1 3 W2-4 X2 Yit. 2. 3.7T1A 2.3G+ क्रिमि- ( for कृमि - ). B1 -दितं;
J2 - बिर्ड; G1 M3 शतं ( for - चितं ). C लालापूर्णं. J 3 Y2 13 M1 कुगंधि; W1-3 विगर्हितं ( for
विगन्धि). 4 ) D Est F3 J2 W ( W+ orig. and c ) Y3 G1 - 3M 1 - 3 निरुपमरसं ; Ji
विरुपमरस; X Y 1 अनुपमरस
आस्वा ) दन्; Fs [ आ ] स्वाथ (for
खादन् ). I ( by corr. ) Y3 निरास्थि; W‡t X Y1.6.7 T1. 2 G: खरास्थि ( for नरास्थि ). - )
J8 Ms पार्श्वस्तं. A0 - 2 F1. 2. 4 J1.3 च शंकते; Eat न शंसते; H1 ( c. v. as in text ). 2 Yas
G2. 8 विशंकते; J2 lacuna (for न शङ्कते). – d) B1 J1.3 न हि गुणयति; Eo - 2.5 Y1 गणयति
न हि; W» X 2 न हि गणपति; G3 विगणयति न ( for न हि गण ). Fs सुद्रो ( for क्षुद्रो).
A1. 2 B2 F4 H X 1 मैत्री - ( for जन्तु: ).
 
BIS. 1894 (728) Bhartr. ed. Bohl. 2. 9. Haeb. 33. lith ed. I. 8. Galan 11.
Sataksv. 82. Nitisarthk. 65. Subhash 307. Santis. 2. 8; SRB p. 177. 997; SDK,
6. 68. 5 (p. 322, Sūla ) ; SRK. p. 34. 6 ( Bb.) ; SSD. 2. f. 132b.