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नीतिश्लोकाः ।
तेजस्विन्यवलिप्तता मुखरता वक्तर्यशक्तिः स्थिरे
 

तत् को नाम गुणो भवेत् स गुणिनां यो दुर्जनैर्नाङ्कितः ॥२४॥

 
जातिर्यातु रसातलं गुणगणस् तस्याप्यधो गच्छतां
 

शीलं शैलतटात् पतत्वभिजनः संदह्यतां वह्निना ।

शौर्ये वैरिणि वज्रमाशु निपतत्वर्थोऽस्तु नः केवलं
 

येनैकेन विना गुणास् तृणलवप्रायाः समस्ता इमे ॥ २५ ॥

 
भग्नाशस्य करण्डपिण्डिततनोर्ग्लानेन्द्रियस्य क्षुधा
 

कृत्वाखुर्विवरं स्वयं निपतितो नक्तं मुखे भोगिनः ।
 
११
 
मतो ( for ऋजौ ). X कुमतिता ( for विम ).
 
° ) C Ho J3 X Y 27. 8T1G4.5M14
 

 
वक्तव्यशक्तिः; D वक्तर्यशस्तिः; X 1 वक्तिर्मशक्ति: ( for वक्तर्य ). JY7.8 स्थिते; G+ स्थितौ
( for स्थिरे ). a ) X 2 तत्कर्मानु- ( for तत्को नाम ).
 
d
 
Ms भवेद्गुणा: ( for गुणो भवेत् ) . ( समस्त- (for भवेत्स ).
G1.4 M सुगुणिनां; F3 स गुणो सर्वगुणिनां (for म गुणिनां ).
नांकित: ; G1 M1. 3 दुर्जनानां मतः, (दुर्जने नांचितः; M.
 
5
 
B Gst गुणोभवत्; G+ गुणी भवेत्;
BEo. 1. 5 Fa J3 W X2 Y1.4.1
W+ दुर्जयैनांकित: ; X 2 M2 दुर्जने
दुर्जनानां गुणः (for दुर्जनैर्नाङ्कितः).
BIS. 2375 (954 ) Bhartr. ed. Bohl. 2. 44. Hach. 23 lith ed. I. 53, II 54.
Galan 58. Satakäv. 80. Subhāsh. 306; SRB. p. 61.263 ( Bh. ) ; SBH 464 ( Bh.) ; ;
SK.M. 8. 34; SRK. p. 26.54 ( ST. ) ; SK 2 113; SG. f. 21b;
SSV. 525; SMV. 10.28.
 
SSD. 2. f. 131b;
 
X1
 
25 ) F1 जातु; Yr याति ( for यातु ). Ec Git.v. गुणगणास्.
तस्मादधो; F3 J Y 2. 4 - 8 T G 3 - 5 तत्राप्यधो ( for तस्याप्यधो ). A3 B Eat I
F1 नीयतां ;
H J_Y 4 – 8 T3 G2 M4.5 गच्छताच्; 5 गच्छतः (for गच्छतां).
शैलतर्ट; M4.6 शैलतीं (for 'तटात् ). D पतत्यभिजनैः; G+ पतत्व भिजनाः
 
C reads :
 
शील शैलतटात्पतत्वभिजनो निर्दयतां वह्निना
 
मा श्रौषं जगति श्रुतस्य विफले क्लेशस्य नामाप्यहम् ।
- 0 ) F1 G+ शौर्य ( for शौर्ये ).
B1 पततादर्थोस्तु (for निपतत्वर्थोऽस्तु ).
येनैकेन ). C -बुस; G 1 M3 लघु- ( for - लव- ). D F3 J Y ( except Y 3 )
अमी; G1 M3 अपि ( for इमे).
 
गुणगुणस्. BH
गच्छतु;
4 ) Y7
For 25a4,
 
F1 वारिणि ( for वैरिणि ). A3 निपतितत्वर्थोस्तु;
C मे सर्वदा (for नः केवलं). - ) Ts ह्येकेनैव ( for
a
(32 - - 6 M1.24.6
 
BIS. 2388 (965 ) Bhartr ed. Bohl. 2. 32. Haeb. 24, lith ed. I. 38, II. 39.
Galan 42. Śatakāv. 81. Subhāsh. 65; Sp. 332 ( Bh. ) ; SRB. p. 64. 15 (Bh.);
SBH. 3073 (var Māgha ) ; SKM. 125 9 (Bh. ) ; SRK. p. 44. 9 ( Bh. ) ; ST. 41.11 ;
9
Padyaracanã ( KM. 89, p. 111 40, Bh. ) ; VS. 299 ( Bh. ) ; SHVf 66b ( Bh. ) and
82&; SS. 39.12 ; SK. 2. 174; SU. 1515; SSD. 2. f. 105&; SMV. 4. 6.
 
H
 
26 ") Y2 भन्नायस्य. A2.8 B1 DE5 F1 H 2 ( m.v as in text ) W X Y1.3
पीडिततनोइ ( X नुइ ). [ Ao. 1 com. पिंडिततनोः कहतां सरीर संकुडाणौ छइ]. B1 Est
F1~4 H_J_S म्ला ( M3 मा ) नेंद्रियस्य ( for ग्लाने ).
 
4 ) W+ तृप्तस्यात्पिलितेन. F1 M3. + तत्क्षणमसौ ( M 3
 
●) C वक्त्रे सुखं ( for नक्तं मुखे ).
'हो ) ( for सत्वरमसौ). F2 तथा
in text ) लोकाः पश्यत; Y1
 
( for पथा).
 
4 ) Fs सुस्थास्तिष्ठत; W ( We as