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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
क्षुत्क्षामोऽपि जराकृशोऽपि शिथिलप्रायोऽपि कष्टां दशाम्

आपन्नोऽपि विपन्नदीधितिरपि प्राणेषु गच्छत्खपि ।

मन्तेभेन्द्रविभिन्नकुम्भकवलग्रासैकबद्धस्पृहः
 

किं जीर्णं तृणमत्ति मानमहतामग्रेसरः केसरी ॥ १७ ॥

 
प्रिया न्याय्या वृत्तिर्मलिनमसुभङ्गेऽप्यसुकरम्

असन्तो नाभ्यर्थ्याः सुहृदपि न याच्यः कृशधनः ।

विपद्युच्चैः स्थेयं पदमनुविधेयं च महतां
 

सतां केनोद्दिष्टं विषमम सिधाराव्रतमिदम् ॥ १८ ॥

 
मनसि वचसि काये पुण्यपीयूषपूर्णास्

त्रिभुवनमुपकारश्रेणिभिः प्रीणयन्तः ।
 
4
 
17 ) C जरार्दितोपि; F1 24 (the last two tv as in text ) X Y 4–6 G4 M1. 8-8
जरान्वितोपि (for कृशोऽपि ). A3 Eo. 2. 30.6 F1 4 X शिथिलप्राणोपि; Fs W 1.20 विगत-
( Fs 'तः ) प्रायोपि; Y: शिथिलाः प्राप्तोपि (for शिथिलप्रायोपि ). F2 X दीनां ( for कष्टां ).
 
8) H1t.2 We विभिन्न - ( for विपन्न - ). B2 C Est F2. 3 J W_Y2. 4 – 4 T GM नश्यत्स्वपि;
Y3 शामत्स्वपि ( for गच्छत्स्वपि). ● ) BCDY 3 उन्मत्तेभ (for मत्तेभेन्द्र - ). Ba T3
- पलल-; D F3 Wit - दलन - ; F2 J1.3 Wst X Y ( except Y 3 ) T1. 2 GM -पिशित-3
Js -विशिखा-; Tst. v. - फलल - ( for -कवल-). W+ - बद्धास्पृहः; T3 बद्धः स्पृहः; Ms - बंधस्पृहः.
a ) G1 M3 जीवनू; Ms जीर्णस् ( for जीर्ण). Aot.it. 8 Eo 2.6 J1 X 1 T2. 8 केशरी
( for केसरी).
 
d
 
BIS. 2027 (791) Bhartr. ed. Bobl. 2. 22. Haeb. 13. litb. ed. I, II and
Galan 29. Subhāsh. 304; Sp. 907 ( Bh. ) ; SRB. p. 23040 ( Ratisena ) ; SBH. 614
(Ratisena); SRK. p. 174. 1 (Śp.); ST. 16. 1; Kāvyānuśāsana of Vägbhața 3
(KM. 43, p. 36 ) ; Padyaracanā (KM. 89, p. 102.60, Bh. ) ; SS. 54 5; 8K. 3. 206;
SU. 1220 ( Bh. ) ; SSD. 2. f. 35b.
 
18 Om. in ISM Kalamkar 195, and Mysore 582. Order bacd (to avoid
sandhi across ab ) in A3 BE I; cabd in H. a) C J1.3 Y14 न्याया;
Yo वन्या (for.
न्याय्या). Y8 वृत्तेर् (for वृत्तिर् ). Yr M1.8-5 असुभंगेषु (for भङ्गेऽपि ). . 6 ) D F3 J
W_X_Y4–4 T G_M त्वसंतो; F1 Y1.8 ह्य संतो; Y2 व संतो ( for असन्तो). G2 न झर्थ्याः;
Ms [s] सामर्थ्या: ( for नाभ्यर्थ्या: ). Y1 सकृदपि (for सुहृदपि ). J2 याच्य; G (tv as in
Ja
text) वाच्यः; Ms याञ्च ( for CY1 कृशधनैः;
C Y1 कृशधनैः; It तनुधनः; J1 कृशधनं;
Y 2 कृतधन: ( for कृशधनः ). – °
M1. 2. 4.6 स्थैर्य; F8 X1.8
T1B G1. 5 M3 धैर्य (for स्थेयं ).
 
याच्यः ).
 
) F2 J1. 8 X 2 Y1 - 8 T2. 8 G2 – 4
d) A3 धारामृतम् (for 'धाराव्रतम्).
 
BIS. 4354 ( 1922 ) Bhartr ed. Bohl. 2. 61. Haeb. 14. lith ed. I. and III. 27.
Galan 28. Subhash. 304; SRB. p. 52. 248 (Jayāditya); SBH. 280 (Jayāditya);
SDK. 5. 35. 4 (p. 301, Dharmakirti ) ; SRK. p. 14, 39 (Bh. ) ; PT. 1.56; SSD, 2
f. 93b; SSV. 417 (baed); JSV. 182. 3 ( bacd).
 
19 Om. in Mysore KB 340.
 
1 ) X परहितम् ( for त्रिभुवनम् ). C Eat.v.
पुरर्यतः ( for प्रीण ). – 4 ) 0 Y1 (printed ed only) विलसंतः (for विक), Yr संति ये वे
Ts क्यापर्यंत: ( for सन्ति सन्तः ). A2 कियंत (for कियन्तः).