2023-03-01 17:25:20 by suhasm
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भर्तृहरि सुभाषितसंग्रहः
Group I
(Stanzas generally found in all versions )
UNPLACED (1-7)
चूडोत्तंसितचारुचन्द्रकलिकाचञ्चच्छिखाभास्वरो
लीलादग्धविलोलकामशलभः श्रेयोदशाग्रे स्फुरन् ।
अन्तःस्फूर्जदपारमोहति मिरप्राग्भारमुच्छेदयंश्
चेतःसद्मनि योगिनां विजयते<error>ज्ञानप्रदीषो</error><fix>ज्ञानप्रदीपो</fix> हरः ॥ १ ॥
कृशः काण: खञ्जः श्रवणरहितः पुच्छविकलो
व्रणी पूयक्किन्नः कृमिकुलशतैरावृततनुः ।
1
Generally Ś.1 in N ( except H2, but N.1 also in H ) ; V.1 in S. Omitted in
a
-
RASB 9510, Mysore 582. . ^ ) T3 मारोत्तंसित - ; M3 चोडोत्तंसित - A3 D J1 Y4.7T1G1.2
2
( sec. m. ) Ms चंद्रचारुकलिका ( M 3 °तं ). A3 BF 3 4 H1 ( 15 only ) J2 W Y1. 2.6 – 8
T2. 8 Q2. 3. 6 M1–3 -चंचच्छिखाभासुरो; C चंचुःक्षमाभास्वरो; F (except E3) H2 -चंचच्छिखा.
भास्करो; Ys - बिभ्रच्छिरोभासुरो. 6 ) F 2.5 W+ श्रेयोहशाग्रे ( 6 °मे: ). -- c ) Jit
अंतःस्फूर्जितदपार; X अंतः ( X 1 'तेः) स्फूर्जिदपार E I उद्भेदयन्; F1.4 उन्मूलयन्; Ha
उल्सेदयन्; W_Y7.4 T1G1-4. 4 ( tv as in text ) 6 M1 - 3 उच्चाटयन् (for उच्छेदयन् ).
- 4 ) Y& श्रोतः- ( for चेत:- ).
5
Ha योगिनो. Fst.v. कामप्रदीपो; T3 ज्ञानं प्रदीपो
Hit (Ś. orig.) W2 (orig. ). 4 f: (for gT: ).
W
BIS. 2303 (919) Bhartṛ. ed. Bohl. Haeb. lith. ed. I and Galan 3. 1; SKM.
16 (var.); SEVf 3b (Indrakavi); SSD. 1. f. 2b
X8 काण: ;
6
c ) B1
2 V. in N. Ś. in S. In NS3. V. 45, S. 105 (106, extra). Ya missing.
") F₂ खाणः;
Gs कोण: ( for काण: ). A2 खेज: ; J1.20 कंज: ; X 2 खंड:; Ys
कुंज: ( for खलः ). F3 शूलविकलो; X पुच्छविकटो. - ) G1 वृणी. AB2 E पूतिक्लिङ्गः;
F2 पूयच्छित: B1 कृमिशतकुलैर्; C F1-3 J W2−4 X2 T (except T1B ) G+ क्रिमिकुलशतैर्;
D Gst क्रमिकुल. Y3 आदृततनुः; G4 आचिततनुः
(for क्षामो).
Fa म्लान: ( for जीर्ण:). A3 E पिठरज-; C पिठिरक-; F14 (m.v as in text ) पृथुतर-;
C D -कपालार्दित ; F1 -पिठारार्दित-; F (m.v.
Yo - गुण: ( for -गलः). 2 ) B1 Y3 अभ्येति
A3 B1 ( by corr. ) 2 H I Ys
0 W निर्हत्येव; D वहत्येव; F6 न हंत्येव ; J3 X1 Y1 च हंतेव ( for च हन्त्येव ).
W2 - मृण्मय-; G1 पिठरित - (for पिठरक ).
as
in text) पिठारार्पित-; T1 -कसालार्पित.
( for अन्वेति ). D तमपि च; F3 हृतमपि ( for हतमपि ).
व इत्येष;
[Y1oom, धातुक इव].
Group I
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UNPLACED (1-7)
चूडोत्तंसितचारुचन्द्रकलिकाचञ्चच्छिखाभास्वरो
लीलादग्धविलोलकामशलभः श्रेयोदशाग्रे स्फुरन् ।
अन्तःस्फूर्जदपारमोहति मिरप्राग्भारमुच्छेदयंश्
चेतःसद्मनि योगिनां विजयते
कृशः काण: खञ्जः श्रवणरहितः पुच्छविकलो
व्रणी पूयक्किन्नः कृमिकुलशतैरावृततनुः ।
1
Generally Ś.1 in N ( except H2, but N.1 also in H ) ; V.1 in S. Omitted in
a
-
RASB 9510, Mysore 582. . ^ ) T3 मारोत्तंसित - ; M3 चोडोत्तंसित - A3 D J1 Y4.7T1G1.2
2
( sec. m. ) Ms चंद्रचारुकलिका ( M 3 °तं ). A3 BF 3 4 H1 ( 15 only ) J2 W Y1. 2.6 – 8
T2. 8 Q2. 3. 6 M1–3 -चंचच्छिखाभासुरो; C चंचुःक्षमाभास्वरो; F (except E3) H2 -चंचच्छिखा.
भास्करो; Ys - बिभ्रच्छिरोभासुरो. 6 ) F 2.5 W+ श्रेयोहशाग्रे ( 6 °मे: ). -- c ) Jit
अंतःस्फूर्जितदपार; X अंतः ( X 1 'तेः) स्फूर्जिदपार E I उद्भेदयन्; F1.4 उन्मूलयन्; Ha
उल्सेदयन्; W_Y7.4 T1G1-4. 4 ( tv as in text ) 6 M1 - 3 उच्चाटयन् (for उच्छेदयन् ).
- 4 ) Y& श्रोतः- ( for चेत:- ).
5
Ha योगिनो. Fst.v. कामप्रदीपो; T3 ज्ञानं प्रदीपो
Hit (Ś. orig.) W2 (orig. ). 4 f: (for gT: ).
W
BIS. 2303 (919) Bhartṛ. ed. Bohl. Haeb. lith. ed. I and Galan 3. 1; SKM.
16 (var.); SEVf 3b (Indrakavi); SSD. 1. f. 2b
X8 काण: ;
6
c ) B1
2 V. in N. Ś. in S. In NS3. V. 45, S. 105 (106, extra). Ya missing.
") F₂ खाणः;
Gs कोण: ( for काण: ). A2 खेज: ; J1.20 कंज: ; X 2 खंड:; Ys
कुंज: ( for खलः ). F3 शूलविकलो; X पुच्छविकटो. - ) G1 वृणी. AB2 E पूतिक्लिङ्गः;
F2 पूयच्छित: B1 कृमिशतकुलैर्; C F1-3 J W2−4 X2 T (except T1B ) G+ क्रिमिकुलशतैर्;
D Gst क्रमिकुल. Y3 आदृततनुः; G4 आचिततनुः
(for क्षामो).
Fa म्लान: ( for जीर्ण:). A3 E पिठरज-; C पिठिरक-; F14 (m.v as in text ) पृथुतर-;
C D -कपालार्दित ; F1 -पिठारार्दित-; F (m.v.
Yo - गुण: ( for -गलः). 2 ) B1 Y3 अभ्येति
A3 B1 ( by corr. ) 2 H I Ys
0 W निर्हत्येव; D वहत्येव; F6 न हंत्येव ; J3 X1 Y1 च हंतेव ( for च हन्त्येव ).
W2 - मृण्मय-; G1 पिठरित - (for पिठरक ).
as
in text) पिठारार्पित-; T1 -कसालार्पित.
( for अन्वेति ). D तमपि च; F3 हृतमपि ( for हतमपि ).
व इत्येष;
[Y1oom, धातुक इव].