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के अधिकारी से ही बनेंगे जो कि दोनों साधनों के पश्चात्
तीसरे साधन की तीन सीढ़ियों को तय कर चुका है, तथा तय
करने में जो उपरोक्त घटनाओं का सामना करता है वह
तितिक्षा का अधिकारी है ।
 
शङ्का-- श्रद्धा कीदृशी ?
 
अर्थ:-- श्रद्धा किस प्रकार की होती है ?
 
समाधान-- गुरुवेदान्तवाक्ये विश्वासः श्रद्धा |
 
अर्थ:-- गुरु और वेदान्त शास्त्र के वाक्यों में विश्वास
करना । जो गुरु वेदान्त शास्त्र के वाक्यों का यथार्थ उपदेश
करते हैं उन पर विश्वास रखना श्रद्धा है।
 
शङ्का-- समाधानं किम् ?
 
अर्थः-- समाधान क्या है ?
 
समाधान--<error> चित्तैकाग्रता का ?</error> <fix>चित्तैकाग्रता ।</fix>
 
अर्थ:--सावधान होकर निरन्तर एकान्त में निवास कर
उपरोक्त गुरु के वेदान्त वाक्यों को ध्यान से सुन काकर चित्त की
वृत्तियों का दमन कर साक्षात् "अहं ब्रह्म" ऐसा निश्चय करना
ही समाधान कहाता है । इस प्रकार से तीसरे साधन की
छठी सीढ़ोढ़ी पारकर चुकने के बाद चतुर्थ साधन में प्रवेश करें ।
 
जब तीनों साधनों ध्यान से सुन चुके तब चतुर्थ साधन के
सुनने की इच्छा से शङ्का करते हैं---
 
शङ्का-- मुमुक्षुत्वं किम् ?