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शङ्का-- कर्माणि कतिविधानि सन्ति ?
 
अर्थ:-- कर्म कितने प्रकार होते हैं ?
 
समाधान-- आगामि-सञ्चित-प्रारब्धभेदेन
त्रिविधानि सन्ति ।
 
अर्थ:-- कर्म तीन प्रकार के होते हैं, यथा (१) आगामी,
(२) सञ्चित और (३) प्रारब्ध ।
 
शंका-- आगामि कर्म किम् ?
 
अर्थ:-- आगामी कर्म किसे कहते हैं ?
 
नामाधान-- ज्ञानोत्पत्त्यनन्तरं ज्ञानिदेहकृतं पुण्य-
पापरूपं कर्म यदस्ति तदागामीत्य-
भिधीयते ।
 
अर्थ:-- मैं सच्चिदानन्द ब्रह्म हूँ ऐसे ज्ञान की उत्पत्ति
होने के बाद ज्ञानी पुरुष इस देह करके जो २ पुण्य व पाप रूपी
कर्म करता है वह आगामी कर्म कहलाता है।
 
शंका-- सञ्चितं कर्म किम् ?
 
अर्थ:-- संचित कर्म किसे कहते हैं ?
 
समाधान-- अनन्तकोटिजन्मनां बीजभूतं सत्
यत्कर्मजातं पूर्वार्जितं तिष्ठति तत्सञ्चितं
ज्ञेयम् ।