2022-07-22 02:27:02 by akprasad
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शङ्का--चित्किम् ?
अर्थः--चित् किसे कहते हैं ?
समाधान--ज्ञानस्वरूपः ।
अर्थः--जो ज्ञानस्वरूप हैं, जैसे घट-पटादि पदार्थों का
जानने वाला तथा अपना आधिपत्य जमाने वाला और चैतन्य
स्वरूप ऐसा साक्षात् ज्ञान चित् पदार्थ का लक्षण है।
शङ्का--आनन्दमयः कः ?
अर्थः--आनन्दमय किसे कहते हैं ?
समाधान--सुखस्वरूपः ।
अर्थ:--दुःख रूपी प्रपञ्चों से रहित और सुख स्वरूप जो
आनन्द वही ब्रह्म स्वरूप है, यथा--
एवं सच्चिदानन्दस्वरूपं स्वात्मानं विजानीयात् ।
अर्थ:--इस प्रकार अपनी आत्मा को सच्चिदानन्द स्वरूप
जानते हुए सम्पूर्ण नाम रूपात्मक दृश्य जगत की क्रियाओं को
मिथ्या जाने ।
अब पूर्वार्द्ध समाप्त होगा इसलिये मध्याह्न की सन्ध्या के
अर्थ हम सबों को भगवत्-गान प्रेम से गाना चाहिये ।
गाना
तुम हीं घनश्याम राम, तुम हीं बनवारी ।
तुमहीं हो कच्छ मच्छ, तुमही गिरधारी ॥१॥ तुमही ० ॥
विश्व रूप अपनो जान, अपने में विश्व मान ।
अर्थः--चित् किसे कहते हैं ?
समाधान--ज्ञानस्वरूपः ।
अर्थः--जो ज्ञानस्वरूप हैं, जैसे घट-पटादि पदार्थों का
जानने वाला तथा अपना आधिपत्य जमाने वाला और चैतन्य
स्वरूप ऐसा साक्षात् ज्ञान चित् पदार्थ का लक्षण है।
शङ्का--आनन्दमयः कः ?
अर्थः--आनन्दमय किसे कहते हैं ?
समाधान--सुखस्वरूपः ।
अर्थ:--दुःख रूपी प्रपञ्चों से रहित और सुख स्वरूप जो
आनन्द वही ब्रह्म स्वरूप है, यथा--
एवं सच्चिदानन्दस्वरूपं स्वात्मानं विजानीयात् ।
अर्थ:--इस प्रकार अपनी आत्मा को सच्चिदानन्द स्वरूप
जानते हुए सम्पूर्ण नाम रूपात्मक दृश्य जगत की क्रियाओं को
मिथ्या जाने ।
अब पूर्वार्द्ध समाप्त होगा इसलिये मध्याह्न की सन्ध्या के
अर्थ हम सबों को भगवत्-गान प्रेम से गाना चाहिये ।
गाना
तुम हीं घनश्याम राम, तुम हीं बनवारी ।
तुमहीं हो कच्छ मच्छ, तुमही गिरधारी ॥१॥ तुमही ० ॥
विश्व रूप अपनो जान, अपने में विश्व मान ।