2022-07-22 00:36:16 by akprasad
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समान) और पाँचों कर्मेन्द्रिय मिलकर प्राणमय कोश कहलाता
है। और इसे ही क्रिया शक्ति कोश भी कह सकते हो क्योंकि
शरीर के अन्दर, जितनी क्रियायें होती हैं, वे सम्पूर्ण प्राणमय
कोश से ही होती हैं ।
शङ्का--मनोमयः कोशः कः ?
अथः--मनोमय कोश किसे कहते हैं ?
समाधान--मनश्च ज्ञानेन्द्रियपञ्चकं मिलित्वा भवति
स मनोमयः कोशः ।
अर्थ:--एक मनेन्द्रिय तथा पाँचों ज्ञानेन्द्रिय मिलकर
मनोमय कोश कहलाता है। तथा इसी को इच्छाशक्ति कोश
भी कहते हैं ।
शङ्का--विज्ञानमयः कः ?
अर्थ:--विज्ञानमय किसे कहते हैं ?
समाधान--बुद्धिर्ज्ञानेन्द्रियपञ्चकं मिलित्वा यो
भवति स विज्ञानमयः कोशः ।
अर्थ:--एक बुद्धि इन्द्रिय तथा पाँचों कर्ण आदि ज्ञानेन्द्रिय
मिलकर विज्ञान मय कोश होता है, यह कोश प्रत्येक प्राणिमात्र
को होता है क्योंकि इस विज्ञान मय कोश की सहायता द्वारा
ही हम सम्पूर्ण पदार्थों का बोध करते हैं, जैसे विशेष बुद्धि के.
दौड़ाने पर विशेष बोध होता है और सामान्य दौड़ाने से
सामान्य ज्ञान होता है। अगर कुछ भी बुद्धि से कार्य न करे
है। और इसे ही क्रिया शक्ति कोश भी कह सकते हो क्योंकि
शरीर के अन्दर, जितनी क्रियायें होती हैं, वे सम्पूर्ण प्राणमय
कोश से ही होती हैं ।
शङ्का--मनोमयः कोशः कः ?
अथः--मनोमय कोश किसे कहते हैं ?
समाधान--मनश्च ज्ञानेन्द्रियपञ्चकं मिलित्वा भवति
स मनोमयः कोशः ।
अर्थ:--एक मनेन्द्रिय तथा पाँचों ज्ञानेन्द्रिय मिलकर
मनोमय कोश कहलाता है। तथा इसी को इच्छाशक्ति कोश
भी कहते हैं ।
शङ्का--विज्ञानमयः कः ?
अर्थ:--विज्ञानमय किसे कहते हैं ?
समाधान--बुद्धिर्ज्ञानेन्द्रियपञ्चकं मिलित्वा यो
भवति स विज्ञानमयः कोशः ।
अर्थ:--एक बुद्धि इन्द्रिय तथा पाँचों कर्ण आदि ज्ञानेन्द्रिय
मिलकर विज्ञान मय कोश होता है, यह कोश प्रत्येक प्राणिमात्र
को होता है क्योंकि इस विज्ञान मय कोश की सहायता द्वारा
ही हम सम्पूर्ण पदार्थों का बोध करते हैं, जैसे विशेष बुद्धि के.
दौड़ाने पर विशेष बोध होता है और सामान्य दौड़ाने से
सामान्य ज्ञान होता है। अगर कुछ भी बुद्धि से कार्य न करे