2022-07-22 10:12:51 by arindamsaha1507
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कोशोत्पत्तिकारण ।
जैसे शरीर को प्रथम अन्न चाहिये, अन्न मिलने पर ही
प्राण रह सकेंगे, प्राण रहने पर मन हर एक वस्तु का सङ्कल्प
विकल्प करता है, उस वस्तु का निश्चय करना विज्ञान का
कार्य है, विज्ञान होने पर आनन्द प्राप्त होता है। इसलिये
यह पत्रञ्चकोश है।
शङ्का--अन्नमयः कः ?
अर्थ:--अन्नमय कोश किसे कहते हैं ?
समाधान--अन्नरसेनैव भूत्वा अन्नरसेनैव वृद्धिं
प्राप्य अनुरूपपृथिव्यां यद्विलीयते तदन्नमयः कोशः
स्थूलशरीरम् ।
बअर्थ:- -अन्न के रस से उत्पन्न होकर तथा अन्न के
रस से ही वृद्धि को प्राप्त हो पश्चात् वही अन्न दूसरा रूप धारण
कर पृथ्वी में लीन हो जाता है, यह क्रिया अन्नमय कोश के
द्वारा होती है तथा अन्नमय कोश जिसके आधार हैं उसे स्थूल
शरीर कहते हैं ।
शङ्का--प्राणमयः कः ?
अर्थ:--प्राणमय किसे कहते हैं ?
समाधान--प्राणादि पञ्च वायवः वागादीन्द्रिय-
पञ्चकं प्राणमयः ।
अर्थ:--प्राणादि पाँच वायु, (प्राण, अपान, व्यान, उदान,
जैसे शरीर को प्रथम अन्न चाहिये, अन्न मिलने पर ही
प्राण रह सकेंगे, प्राण रहने पर मन हर एक वस्तु का सङ्कल्प
विकल्प करता है, उस वस्तु का निश्चय करना विज्ञान का
कार्य है, विज्ञान होने पर आनन्द प्राप्त होता है। इसलिये
यह प
शङ्का--अन्नमयः कः ?
अर्थ:--अन्नमय कोश किसे कहते हैं ?
समाधान--अन्नरसेनैव भूत्वा अन्नरसेनैव वृद्धिं
प्राप्य अनुरूपपृथिव्यां यद्विलीयते तदन्नमयः कोशः
स्थूलशरीरम् ।
रस से ही वृद्धि को प्राप्त हो पश्चात् वही अन्न दूसरा रूप धारण
कर पृथ्वी में लीन हो जाता है, यह क्रिया अन्नमय कोश के
द्वारा होती है तथा अन्नमय कोश जिसके आधार हैं उसे स्थूल
शरीर कहते हैं ।
शङ्का--प्राणमयः कः ?
अर्थ:--प्राणमय किसे कहते हैं ?
समाधान--प्राणादि पञ्च वायवः वागादीन्द्रिय-
पञ्चकं प्राणमयः ।
अर्थ:--प्राणादि पाँच वायु, (प्राण, अपान, व्यान, उदान,