2022-07-22 00:51:04 by akprasad
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नहीं, 'अपक्षीयते', यह स्थूल शरीर रूपी घट प्रतिक्षण क्षीण होता
रहता है। और 'विनश्यति', क्षीण होते २ यहाँ तक क्षीण हो
जाता है, कि एकदम नष्ट हो जाता है, फिर होकर फिर नष्ट हो
जाता है, ऐसा यह षड् ( छह ) विकार वाला स्थूल शरोर है ।
शङ्का--सूक्ष्मशरीरं किम् ?
अर्थ:--सूक्ष्म शरीर क्या है ?
समाधान -- --अपञ्चीकृतपञ्चमहाभूतैः कृतं सत्कर्मजन्यं
सुखदुःखादिभोगसाधनं पञ्च ज्ञानेन्द्रियाणि, पञ्च
कर्मेन्द्रियाणि, पञ्च प्राणादयः, मनश्चैकं, बुद्धिश्चैका
एवं सप्तदशकलाभिः सह यस्तिष्ठति तत्सूक्ष्मशरीरम् ।
अर्थः--अपञ्चीकृत अर्थात् पश्चीकरण से सम्बन्ध न रखने-
वाला और सिर्फ पश्ञ्चमहाभूतों के द्वारा निर्माण किया हुआ,
और पुण्य व पाप रूपी कर्मों से उत्पन्न सुख दुःखादि जो भोग
उनका साधन मात्र, फिर कैसा है कि इसमें पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ
और पाँच कर्मेन्द्रियाँ हैं। और पाँच प्राण हैं और एक मन है।
तथा एक बुद्धि इन्द्रिय है इस प्रकार से जा सत्रह कलाओं
(मशीनों) के सहित जो स्थित हो वही सूक्ष्म शरीर है, सो यह
प्रत्येक देहधारी के अन्दर व्याप्त है ।
इसमें जो ज्ञानेन्द्रिय तथा कर्मेन्द्रिय कहो वे कौन सी हैं ? इनक
क्या कर्तव्य है ? इसलिये शङ्काएँ करते हैं--
शङ्का–--पञ्चज्ञानेन्द्रियाणि कानि ?
रहता है। और 'विनश्यति', क्षीण होते २ यहाँ तक क्षीण हो
जाता है, कि एकदम नष्ट हो जाता है, फिर होकर फिर नष्ट हो
जाता है, ऐसा यह षड् (
शङ्का--सूक्ष्मशरीरं किम् ?
अर्थ:--सूक्ष्म शरीर क्या है ?
समाधान
सुखदुःखादिभोगसाधनं पञ्च ज्ञानेन्द्रियाणि, पञ्च
कर्मेन्द्रियाणि, पञ्च प्राणादयः, मनश्चैकं, बुद्धिश्चैका
एवं सप्तदशकलाभिः सह यस्तिष्ठति तत्सूक्ष्मशरीरम् ।
अर्थः--अपञ्चीकृत अर्थात् पश्चीकरण से सम्बन्ध न रखने-
वाला और सिर्फ प
और पुण्य व पाप रूपी कर्मों से उत्पन्न सुख दुःखादि जो भोग
उनका साधन मात्र, फिर कैसा है कि इसमें पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ
और पाँच कर्मेन्द्रियाँ हैं। और पाँच प्राण हैं और एक मन है।
तथा एक बुद्धि इन्द्रिय है इस प्रकार से जा सत्रह कलाओं
(मशीनों) के सहित जो स्थित हो वही सूक्ष्म शरीर है, सो यह
प्रत्येक देहधारी के अन्दर व्याप्त है ।
इसमें जो ज्ञानेन्द्रिय तथा कर्मेन्द्रिय कहो वे कौन सी हैं ? इनक
क्या कर्तव्य है ? इसलिये शङ्काएँ करते हैं--
शङ्का