2022-07-25 05:25:50 by Andhrabharati
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अर्थ:-- मुमुक्षुत्व कथा वस्तु है ?
समाधान--- मोक्षो मे भूयादितीच्छा ।
अर्थः-- मोक्ष अर्थात् (निखिलदुःखनिवृत्तिपुरस्सरं स्वात्मा-
नन्दावाप्ति:) यानी सम्पूर्ण मायाश्रित दुःखों से निवृत्ति होकर,
निरन्तर आत्मानन्द की प्राप्ति होकर, जन्म-मरणादि रूप जो
संसार उससे मेरी मुक्ति हो जाय ऐसी इच्छा का नाम 'मुमुक्षुत्व'
है। यक्षह धारणा तभी होनी चाहिए जब कि उपरोक्त तीनों
साधनों का कार्य सम्पन्न कर चुका हो । क्योंकिवबगैर मार्ग को
तथय किये किसी स्थान में पहुँचना असम्भव है ।
जब चारों साधन मनुष्य तय कर चुकता है तब इस संसार में
जो तत्व सारांश है उसके जानने का अधिकारी होता है। जैसा कि--
एतत्साधनचतुष्टयम् ।
ततस्तत्त्वविवेकस्याधिकारिणो भवन्ति ।
अर्थः-- यह जो हमने ऊपर चार साधन कहे, उन्हें यत्न
करके सिद्ध करने के बाद, वह ज्ञानी पुरुष तत्त्व यानी इस
संसार में निरंतर रहने वाला निर्मल तथा पञ्चमहाभूतों से
अलग जो परमात्मा वह प्रत्येक रचना का करके किस भांति से
असंग रहता है, उस रहस्य के जानने का अधिकारी हो सकेगा।
शंका-- तत्त्वविवेकः कः ?
अर्थ:-- तत्त्वविवेक क्या है ?
<error>शंका</error> <fix>समाधान</fix>-- आत्मा सत्यस्तदन्यत्सर्वं मिथ्येति ।
समाधान--
अर्थः-- मोक्ष अर्थात् (निखिलदुःखनिवृत्तिपुरस्सरं स्वात्मा-
नन्दावाप्ति:) यानी सम्पूर्ण मायाश्रित दुःखों से निवृत्ति होकर,
निरन्तर आत्मानन्द की प्राप्ति होकर, जन्म-मरणादि रूप जो
संसार उससे मेरी मुक्ति हो जाय ऐसी इच्छा का नाम 'मुमुक्षुत्व'
है। य
साधनों का कार्य सम्पन्न कर चुका हो । क्योंकि
त
जब चारों साधन मनुष्य तय कर चुकता है तब इस संसार में
जो तत्व सारांश है उसके जानने का अधिकारी होता है। जैसा कि--
एतत्साधनचतुष्टयम् ।
ततस्तत्त्वविवेकस्याधिकारिणो भवन्ति ।
अर्थः-- यह जो हमने ऊपर चार साधन कहे, उन्हें यत्न
करके सिद्ध करने के बाद, वह ज्ञानी पुरुष तत्त्व यानी इस
संसार में निरंतर रहने वाला निर्मल तथा पञ्चमहाभूतों से
अलग जो परमात्मा वह प्रत्येक रचना का करके किस भांति से
असंग रहता है, उस रहस्य के जानने का अधिकारी हो सकेगा।
शंका-- तत्त्वविवेकः कः ?
अर्थ:-- तत्त्वविवेक क्या है ?
<error>शंका</error> <fix>समाधान</fix>-- आत्मा सत्यस्तदन्यत्सर्वं मिथ्येति ।