शतकत्रयम् — 3.9
Original
Segmented
विवेक-व्याकोशे विदधति समे शाम्यति तृषा परिष्वङ्गे तुङ्गे प्रसरतितराम् सा परिणता जरा-जीर्ण-ऐश्वर्य-ग्रसन-गहन-आक्षेप-कृपणः तृषा-पात्रम् यस्याम् भवति मरुताम् अप्य् अधिपतिः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
विवेक | विवेक | pos=n,comp=y |
व्याकोशे | व्याकोश | pos=a,g=m,c=7,n=s |
विदधति | विधा | pos=va,g=m,c=7,n=s,f=part |
समे | सम | pos=n,g=m,c=7,n=s |
शाम्यति | शम् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
तृषा | तृषा | pos=n,g=f,c=1,n=s |
परिष्वङ्गे | परिष्वङ्ग | pos=n,g=m,c=7,n=s |
तुङ्गे | तुङ्ग | pos=a,g=m,c=7,n=s |
प्रसरतितराम् | प्रसृ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
सा | तद् | pos=n,g=f,c=1,n=s |
परिणता | परिणम् | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part |
जरा | जरा | pos=n,comp=y |
जीर्ण | जृ | pos=va,comp=y,f=part |
ऐश्वर्य | ऐश्वर्य | pos=n,comp=y |
ग्रसन | ग्रसन | pos=n,comp=y |
गहन | गहन | pos=a,comp=y |
आक्षेप | आक्षेप | pos=n,comp=y |
कृपणः | कृपण | pos=a,g=m,c=1,n=s |
तृषा | तृषा | pos=n,comp=y |
पात्रम् | पात्र | pos=n,g=n,c=1,n=s |
यस्याम् | यद् | pos=n,g=f,c=7,n=s |
भवति | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
मरुताम् | मरुत् | pos=n,g=m,c=6,n=p |
अप्य् | अपि | pos=i |
अधिपतिः | अधिपति | pos=n,g=m,c=1,n=s |