शतकत्रयम् — 3.73
Original
Segmented
पातालम् आविशसि यासि नभो विलङ्घ्य दिः-मण्डलम् भ्रमसि मानस-चापलेन भ्रान्त्या अपि जातु विमलम् कथम् आत्मनीनम् न ब्रह्म संसरसि निर्वृतिम् एषि येन
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
पातालम् | पाताल | pos=n,g=n,c=2,n=s |
आविशसि | आविश् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
यासि | या | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
नभो | नभस् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
विलङ्घ्य | विलङ्घ् | pos=vi |
दिः | दिश् | pos=n,comp=y |
मण्डलम् | मण्डल | pos=n,g=n,c=2,n=s |
भ्रमसि | भ्रम् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
मानस | मानस | pos=n,comp=y |
चापलेन | चापल | pos=n,g=n,c=3,n=s |
भ्रान्त्या | भ्रान्ति | pos=n,g=f,c=3,n=s |
अपि | अपि | pos=i |
जातु | जातु | pos=i |
विमलम् | विमल | pos=a,g=n,c=2,n=s |
कथम् | कथम् | pos=i |
आत्मनीनम् | आत्मनीन | pos=a,g=n,c=2,n=s |
न | न | pos=i |
ब्रह्म | ब्रह्मन् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
संसरसि | संसृ | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
निर्वृतिम् | निर्वृति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
एषि | इ | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
येन | यद् | pos=n,g=n,c=3,n=s |