शतकत्रयम् — 3.42
Original
Segmented
ब्रह्म-इन्द्र-आदि-मरुत्-गणान् तृण-कणान् यत्र स्थितो मन्यते यद्-स्वादात् विरसा भवन्ति विभवास् त्रैलोक्य-राज्य-आदयः भोगः को ऽपि स एव एकः परमो नित्योदितो जृम्भते भोः साधो क्षण-भङ्गुरे तद् इतरे भोगे रतिम् मा कृथाः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
ब्रह्म | ब्रह्मन् | pos=n,comp=y |
इन्द्र | इन्द्र | pos=n,comp=y |
आदि | आदि | pos=n,comp=y |
मरुत् | मरुत् | pos=n,comp=y |
गणान् | गण | pos=n,g=m,c=2,n=p |
तृण | तृण | pos=n,comp=y |
कणान् | कण | pos=n,g=m,c=2,n=p |
यत्र | यत्र | pos=i |
स्थितो | स्था | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
मन्यते | मन् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
यद् | यद् | pos=n,comp=y |
स्वादात् | स्वाद | pos=n,g=m,c=5,n=s |
विरसा | विरस | pos=a,g=m,c=1,n=p |
भवन्ति | भू | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
विभवास् | विभव | pos=n,g=m,c=1,n=p |
त्रैलोक्य | त्रैलोक्य | pos=n,comp=y |
राज्य | राज्य | pos=n,comp=y |
आदयः | आदि | pos=n,g=m,c=1,n=p |
भोगः | भोग | pos=n,g=m,c=1,n=s |
को | क | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽपि | अपि | pos=i |
स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
एव | एव | pos=i |
एकः | एक | pos=n,g=m,c=1,n=s |
परमो | परम | pos=a,g=m,c=1,n=s |
नित्योदितो | नित्योदित | pos=a,g=m,c=1,n=s |
जृम्भते | जृम्भ् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
भोः | भोः | pos=i |
साधो | साधु | pos=a,g=m,c=8,n=s |
क्षण | क्षण | pos=n,comp=y |
भङ्गुरे | भङ्गुर | pos=a,g=m,c=7,n=s |
तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
इतरे | इतर | pos=n,g=m,c=7,n=s |
भोगे | भोग | pos=n,g=m,c=7,n=s |
रतिम् | रति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
मा | मा | pos=i |
कृथाः | कृ | pos=v,p=2,n=s,l=lun_unaug |