शतकत्रयम् — 3.20
Original
Segmented
तृषा शुष्यत्य् आस्ये पिबति सलिलम् शीत-मधुरम् क्षुधा-आर्तः शाल्यन्नम् कवलयति मांस-आदि-कलितम् प्रदीप्ते काम-अग्नौ सु दृढतरम् आलिङ्गति वधूम् प्रतीकारम् व्याधः सुखम् इति विपर्यस्यति जनः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
तृषा | तृष् | pos=n,g=f,c=3,n=s |
शुष्यत्य् | शुष् | pos=va,g=n,c=7,n=s,f=part |
आस्ये | आस्य | pos=n,g=n,c=7,n=s |
पिबति | पा | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
सलिलम् | सलिल | pos=n,g=n,c=2,n=s |
शीत | शीत | pos=a,comp=y |
मधुरम् | मधुर | pos=a,g=n,c=2,n=s |
क्षुधा | क्षुधा | pos=n,comp=y |
आर्तः | आर्त | pos=a,g=m,c=1,n=s |
शाल्यन्नम् | शाल्यन्न | pos=n,g=n,c=2,n=s |
कवलयति | कवलय् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
मांस | मांस | pos=n,comp=y |
आदि | आदि | pos=n,comp=y |
कलितम् | कलय् | pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part |
प्रदीप्ते | प्रदीप् | pos=va,g=m,c=7,n=s,f=part |
काम | काम | pos=n,comp=y |
अग्नौ | अग्नि | pos=n,g=m,c=7,n=s |
सु | सु | pos=i |
दृढतरम् | दृढतर | pos=a,g=n,c=2,n=s |
आलिङ्गति | आलिङ्ग् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
वधूम् | वधू | pos=n,g=f,c=2,n=s |
प्रतीकारम् | प्रतीकार | pos=n,g=m,c=2,n=s |
व्याधः | व्याध | pos=n,g=m,c=1,n=s |
सुखम् | सुख | pos=n,g=n,c=2,n=s |
इति | इति | pos=i |
विपर्यस्यति | विपर्यस् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
जनः | जन | pos=n,g=m,c=1,n=s |