शतकत्रयम् — 2.73
Original
Segmented
वचसि भवति सङ्ग-त्यागम् उद्दिश्य वार्ता श्रुति-मुखर-मुखानाम् केवलम् पण्डितानाम् जघनम् अरुण-रत्न-ग्रन्थि-काञ्ची-कलापम् कुवलय-नयनानाम् को विहातुम् समर्थः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
वचसि | वचस् | pos=n,g=n,c=7,n=s |
भवति | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
सङ्ग | सङ्ग | pos=n,comp=y |
त्यागम् | त्याग | pos=n,g=m,c=2,n=s |
उद्दिश्य | उद्दिश् | pos=vi |
वार्ता | वार्त्ता | pos=n,g=f,c=1,n=s |
श्रुति | श्रुति | pos=n,comp=y |
मुखर | मुखर | pos=a,comp=y |
मुखानाम् | मुख | pos=n,g=m,c=6,n=p |
केवलम् | केवलम् | pos=i |
पण्डितानाम् | पण्डित | pos=n,g=m,c=6,n=p |
जघनम् | जघन | pos=n,g=n,c=2,n=s |
अरुण | अरुण | pos=a,comp=y |
रत्न | रत्न | pos=n,comp=y |
ग्रन्थि | ग्रन्थि | pos=n,comp=y |
काञ्ची | काञ्ची | pos=n,comp=y |
कलापम् | कलाप | pos=n,g=n,c=2,n=s |
कुवलय | कुवलय | pos=n,comp=y |
नयनानाम् | नयन | pos=n,g=f,c=6,n=p |
को | क | pos=n,g=m,c=1,n=s |
विहातुम् | विहा | pos=vi |
समर्थः | समर्थ | pos=a,g=m,c=1,n=s |