शतकत्रयम् — 2.7
Original
Segmented
द्रष्टव्येषु किम् उत्तमम् मृग-दृशः प्रेम-प्रसन्नम् मुखम् घ्रातव्येष्व् अपि किम् तद्-आस्य-पवनः श्रव्येषु किम् तद्-वचः किम् स्वाद्येषु तद्-ओष्ठ-पल्लव-रसः स्पृश्येषु किम् तद्-वपुः-ध्येयम् किम् नव-यौवने सहृदयैः सर्वत्र तद्-विभ्रमाः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
द्रष्टव्येषु | दृश् | pos=va,g=n,c=7,n=p,f=krtya |
किम् | क | pos=n,g=n,c=1,n=s |
उत्तमम् | उत्तम | pos=a,g=n,c=1,n=s |
मृग | मृग | pos=n,comp=y |
दृशः | दृश् | pos=n,g=f,c=5,n=s |
प्रेम | प्रेमन् | pos=n,comp=y |
प्रसन्नम् | प्रसद् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
मुखम् | मुख | pos=n,g=n,c=1,n=s |
घ्रातव्येष्व् | घ्रा | pos=va,g=n,c=7,n=p,f=krtya |
अपि | अपि | pos=i |
किम् | क | pos=n,g=n,c=1,n=s |
तद् | तद् | pos=n,comp=y |
आस्य | आस्य | pos=n,comp=y |
पवनः | पवन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
श्रव्येषु | श्रु | pos=va,g=n,c=7,n=p,f=krtya |
किम् | क | pos=n,g=n,c=1,n=s |
तद् | तद् | pos=n,comp=y |
वचः | वचस् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
किम् | क | pos=n,g=n,c=2,n=s |
स्वाद्येषु | स्वादय् | pos=va,g=n,c=7,n=p,f=krtya |
तद् | तद् | pos=n,comp=y |
ओष्ठ | ओष्ठ | pos=n,comp=y |
पल्लव | पल्लव | pos=n,comp=y |
रसः | रस | pos=n,g=m,c=1,n=s |
स्पृश्येषु | स्पृश् | pos=va,g=n,c=7,n=p,f=krtya |
किम् | क | pos=n,g=n,c=1,n=s |
तद् | तद् | pos=n,comp=y |
वपुः | वपुस् | pos=n,comp=y |
ध्येयम् | ध्या | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=krtya |
किम् | क | pos=n,g=n,c=1,n=s |
नव | नवन् | pos=n,comp=y |
यौवने | यौवन | pos=n,g=n,c=7,n=s |
सहृदयैः | सहृदय | pos=a,g=m,c=3,n=p |
सर्वत्र | सर्वत्र | pos=i |
तद् | तद् | pos=n,comp=y |
विभ्रमाः | विभ्रम | pos=n,g=m,c=1,n=p |