शतकत्रयम् — 2.55
Original
Segmented
विस्तारितम् मकरकेतन-धीवरेन स्त्री-संज्ञितम् बडिशम् अत्र भव-अम्बुराशौ येन अचिरात् तद्-अधर-आमिष-लोल-मर्त्य-मत्स्यान् विकृष्य विपचत्य् अनुराग-वह्नौ
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
विस्तारितम् | विस्तारय् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
मकरकेतन | मकरकेतन | pos=n,comp=y |
धीवरेन | धीवर | pos=n,g=m,c=3,n=s |
स्त्री | स्त्री | pos=n,comp=y |
संज्ञितम् | संज्ञित | pos=a,g=n,c=1,n=s |
बडिशम् | बडिश | pos=n,g=n,c=1,n=s |
अत्र | अत्र | pos=i |
भव | भव | pos=n,comp=y |
अम्बुराशौ | अम्बुराशि | pos=n,g=m,c=7,n=s |
येन | यद् | pos=n,g=n,c=3,n=s |
अचिरात् | अचिरात् | pos=i |
तद् | तद् | pos=n,comp=y |
अधर | अधर | pos=n,comp=y |
आमिष | आमिष | pos=n,comp=y |
लोल | लोल | pos=a,comp=y |
मर्त्य | मर्त्य | pos=n,comp=y |
मत्स्यान् | मत्स्य | pos=n,g=m,c=2,n=p |
विकृष्य | विकृष् | pos=vi |
विपचत्य् | विपच् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
अनुराग | अनुराग | pos=n,comp=y |
वह्नौ | वह्नि | pos=n,g=m,c=7,n=s |