शतकत्रयम् — 2.47
Original
Segmented
नो सत्येन मृगाङ्क एष वदनीभूतो न च इन्दीवर-द्वन्द्वम् लोचन-ताम् गतम् न कनकैः अप्य् अङ्ग-यष्टिः कृता किन्त्व् एवम् कविभिः प्रतारय्-मनाः तत्त्वम् विजानन्न् अपि त्वच्-मांस-अस्थि-मयम् वपुः मृग-दृशाम् मन्दो जनः सेवते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
नो | नो | pos=i |
सत्येन | सत्य | pos=n,g=n,c=3,n=s |
मृगाङ्क | मृगाङ्क | pos=n,g=m,c=1,n=s |
एष | एतद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
वदनीभूतो | वदनीभू | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
न | न | pos=i |
च | च | pos=i |
इन्दीवर | इन्दीवर | pos=n,comp=y |
द्वन्द्वम् | द्वंद्व | pos=n,g=n,c=1,n=s |
लोचन | लोचन | pos=n,comp=y |
ताम् | ता | pos=n,g=f,c=2,n=s |
गतम् | गम् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
न | न | pos=i |
कनकैः | कनक | pos=n,g=n,c=3,n=p |
अप्य् | अपि | pos=i |
अङ्ग | अङ्ग | pos=n,comp=y |
यष्टिः | यष्टि | pos=n,g=f,c=1,n=s |
कृता | कृ | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part |
किन्त्व् | किंतु | pos=i |
एवम् | एवम् | pos=i |
कविभिः | कवि | pos=n,g=m,c=3,n=p |
प्रतारय् | प्रतारय् | pos=va,comp=y,f=part |
मनाः | मनस् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
तत्त्वम् | तत्त्व | pos=n,g=n,c=2,n=s |
विजानन्न् | विज्ञा | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
अपि | अपि | pos=i |
त्वच् | त्वच् | pos=n,comp=y |
मांस | मांस | pos=n,comp=y |
अस्थि | अस्थि | pos=n,comp=y |
मयम् | मय | pos=a,g=n,c=2,n=s |
वपुः | वपुस् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
मृग | मृग | pos=n,comp=y |
दृशाम् | दृश् | pos=n,g=f,c=6,n=p |
मन्दो | मन्द | pos=a,g=m,c=1,n=s |
जनः | जन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
सेवते | सेव् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |