शतकत्रयम् — 2.31
Original
Segmented
संसारे ऽस्मिन्न् असारे कु नृपति-भवन-द्वार-सेवा-कलङ्क-व्यासङ्ग-व्यस्-धैर्यम् कथम् अमल-धियः मानसम् संविदध्युः यद्य् एताः प्रोदि-इन्दु-द्युति-निचय-भृतः न स्युः अम्भोज-नेत्र प्रेङ्खत्-काञ्ची-कलाप स्तन-भर-विनम्-मध्य-भाजः तरुण्यः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
संसारे | संसार | pos=n,g=m,c=7,n=s |
ऽस्मिन्न् | इदम् | pos=n,g=m,c=7,n=s |
असारे | असार | pos=a,g=m,c=7,n=s |
कु | कु | pos=i |
नृपति | नृपति | pos=n,comp=y |
भवन | भवन | pos=n,comp=y |
द्वार | द्वार | pos=n,comp=y |
सेवा | सेवा | pos=n,comp=y |
कलङ्क | कलङ्क | pos=n,comp=y |
व्यासङ्ग | व्यासङ्ग | pos=n,comp=y |
व्यस् | व्यस् | pos=va,comp=y,f=part |
धैर्यम् | धैर्य | pos=n,g=n,c=2,n=s |
कथम् | कथम् | pos=i |
अमल | अमल | pos=a,comp=y |
धियः | धी | pos=n,g=m,c=1,n=p |
मानसम् | मानस | pos=n,g=n,c=2,n=s |
संविदध्युः | संविधा | pos=v,p=3,n=p,l=vidhilin |
यद्य् | यदि | pos=i |
एताः | एतद् | pos=n,g=f,c=1,n=p |
प्रोदि | प्रोदि | pos=va,comp=y,f=part |
इन्दु | इन्दु | pos=n,comp=y |
द्युति | द्युति | pos=n,comp=y |
निचय | निचय | pos=n,comp=y |
भृतः | भृत् | pos=a,g=f,c=1,n=p |
न | न | pos=i |
स्युः | अस् | pos=v,p=3,n=p,l=vidhilin |
अम्भोज | अम्भोज | pos=n,comp=y |
नेत्र | नेत्र | pos=n,g=f,c=1,n=p |
प्रेङ्खत् | प्रेङ्ख् | pos=va,comp=y,f=part |
काञ्ची | काञ्ची | pos=n,comp=y |
कलाप | कलाप | pos=n,g=f,c=1,n=p |
स्तन | स्तन | pos=n,comp=y |
भर | भर | pos=n,comp=y |
विनम् | विनम् | pos=va,comp=y,f=part |
मध्य | मध्य | pos=n,comp=y |
भाजः | भाज् | pos=a,g=f,c=1,n=p |
तरुण्यः | तरुण | pos=a,g=f,c=1,n=p |