शतकत्रयम् — 2.29
Original
Segmented
रागस्य आगारम् एकम् नरक-शत-महा-दुःख-संप्राप्ति-हेतुः मोहस्य उत्पत्ति-बीजम् जलधर-पटलम् ज्ञान-ताराधिपस्य कन्दर्पस्य एक-मित्रम् प्रकटित-विविध-स्पष्ट-दोष-प्रबन्धम् लोके ऽस्मिन् न ह्य् अर्थ-व्रज-कुल-भवन-यौवनात् अन्यद् अस्ति
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
रागस्य | राग | pos=n,g=m,c=6,n=s |
आगारम् | आगार | pos=n,g=n,c=1,n=s |
एकम् | एक | pos=n,g=n,c=1,n=s |
नरक | नरक | pos=n,comp=y |
शत | शत | pos=n,comp=y |
महा | महत् | pos=a,comp=y |
दुःख | दुःख | pos=n,comp=y |
संप्राप्ति | सम्प्राप्ति | pos=n,comp=y |
हेतुः | हेतु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
मोहस्य | मोह | pos=n,g=m,c=6,n=s |
उत्पत्ति | उत्पत्ति | pos=n,comp=y |
बीजम् | बीज | pos=n,g=n,c=1,n=s |
जलधर | जलधर | pos=n,comp=y |
पटलम् | पटल | pos=n,g=n,c=1,n=s |
ज्ञान | ज्ञान | pos=n,comp=y |
ताराधिपस्य | ताराधिप | pos=n,g=m,c=6,n=s |
कन्दर्पस्य | कन्दर्प | pos=n,g=m,c=6,n=s |
एक | एक | pos=n,comp=y |
मित्रम् | मित्र | pos=n,g=n,c=1,n=s |
प्रकटित | प्रकटय् | pos=va,comp=y,f=part |
विविध | विविध | pos=a,comp=y |
स्पष्ट | पश् | pos=va,comp=y,f=part |
दोष | दोष | pos=n,comp=y |
प्रबन्धम् | प्रबन्ध | pos=n,g=n,c=1,n=s |
लोके | लोक | pos=n,g=m,c=7,n=s |
ऽस्मिन् | इदम् | pos=n,g=m,c=7,n=s |
न | न | pos=i |
ह्य् | हि | pos=i |
अर्थ | अर्थ | pos=n,comp=y |
व्रज | व्रज | pos=n,comp=y |
कुल | कुल | pos=n,comp=y |
भवन | भवन | pos=n,comp=y |
यौवनात् | यौवन | pos=n,g=n,c=5,n=s |
अन्यद् | अन्य | pos=n,g=n,c=1,n=s |
अस्ति | अस् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |