शतकत्रयम् — 1.8
Original
यदा किञ्चिज्-ज्ञो ऽहं द्विप इव मदान्धः समभवं
Segmented
यदा किंचिद् ज्ञः ऽहम् द्विप इव मद-अन्धः समभवम् तदा सर्व-ज्ञः अस्मि इति अभवद् अवलिप्तम् मम मनः यदा किंचिद् किंचिद् बुध-जन-सकाशात् अवगतम् तदा मूर्खो अस्मि इति ज्वर इव मदो मे व्यपगतः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यदा | यदा | pos=i |
किंचिद् | कश्चित् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
ज्ञः | ज्ञ | pos=a,g=m,c=1,n=s |
ऽहम् | मद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
द्विप | द्विप | pos=n,g=m,c=1,n=s |
इव | इव | pos=i |
मद | मद | pos=n,comp=y |
अन्धः | अन्ध | pos=a,g=m,c=1,n=s |
समभवम् | सम्भू | pos=v,p=1,n=s,l=lan |
तदा | तदा | pos=i |
सर्व | सर्व | pos=n,comp=y |
ज्ञः | ज्ञ | pos=a,g=m,c=1,n=s |
अस्मि | अस् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
इति | इति | pos=i |
अभवद् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
अवलिप्तम् | अवलिप् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
मम | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
मनः | मनस् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
यदा | यदा | pos=i |
किंचिद् | कश्चित् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
किंचिद् | कश्चित् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
बुध | बुध | pos=n,comp=y |
जन | जन | pos=n,comp=y |
सकाशात् | सकाशात् | pos=i |
अवगतम् | अवगम् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
तदा | तदा | pos=i |
मूर्खो | मूर्ख | pos=a,g=m,c=1,n=s |
अस्मि | अस् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
इति | इति | pos=i |
ज्वर | ज्वर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
इव | इव | pos=i |
मदो | मद | pos=n,g=m,c=1,n=s |
मे | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
व्यपगतः | व्यपगम् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |