शतकत्रयम् — 1.66
Original
सम्पत्सु महतां चित्तं
भवत्य् उत्पल-कोमलम् ।आपत्सु च महाशैलशिला-
Segmented
संपत्सु महताम् चित्तम् भवत्य् उत्पल-कोमलम् आपत्सु च महा-शैल-शिला-संघात-कर्कशम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
संपत्सु | सम्पद् | pos=n,g=,c=7,n=p |
महताम् | महत् | pos=a,g=m,c=6,n=p |
चित्तम् | चित्त | pos=n,g=n,c=1,n=s |
भवत्य् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
उत्पल | उत्पल | pos=n,comp=y |
कोमलम् | कोमल | pos=a,g=n,c=1,n=s |
आपत्सु | आपद् | pos=n,g=f,c=7,n=p |
च | च | pos=i |
महा | महत् | pos=a,comp=y |
शैल | शैल | pos=n,comp=y |
शिला | शिला | pos=n,comp=y |
संघात | संघात | pos=n,comp=y |
कर्कशम् | कर्कश | pos=a,g=n,c=1,n=s |