शतकत्रयम् — 1.58
Original
Segmented
मौनः मूकः प्रवचन-पटुः वातुलो जल्पको वा धृष्टः पार्श्वे वसति च सदा दूरतः च अ प्रगल्भः क्षान्त्या भीरुः यदि न सहते प्रायशो न अभिजातः सेवा-धर्मः परम-गहनः योगिनाम् अपि अगम्यः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
मौनः | मौन | pos=a,g=m,c=1,n=s |
मूकः | मूक | pos=a,g=m,c=1,n=s |
प्रवचन | प्रवचन | pos=n,comp=y |
पटुः | पटु | pos=a,g=m,c=1,n=s |
वातुलो | वातुल | pos=a,g=m,c=1,n=s |
जल्पको | जल्पक | pos=a,g=m,c=1,n=s |
वा | वा | pos=i |
धृष्टः | धृष् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
पार्श्वे | पार्श्व | pos=n,g=m,c=7,n=s |
वसति | वस् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
च | च | pos=i |
सदा | सदा | pos=i |
दूरतः | दूरतस् | pos=i |
च | च | pos=i |
अ | अ | pos=i |
प्रगल्भः | प्रगल्भ | pos=a,g=m,c=1,n=s |
क्षान्त्या | क्षान्ति | pos=n,g=f,c=3,n=s |
भीरुः | भीरु | pos=a,g=m,c=1,n=s |
यदि | यदि | pos=i |
न | न | pos=i |
सहते | सह् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
प्रायशो | प्रायशस् | pos=i |
न | न | pos=i |
अभिजातः | अभिजन् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
सेवा | सेवा | pos=n,comp=y |
धर्मः | धर्म | pos=n,g=m,c=1,n=s |
परम | परम | pos=a,comp=y |
गहनः | गहन | pos=a,g=m,c=1,n=s |
योगिनाम् | योगिन् | pos=n,g=m,c=6,n=p |
अपि | अपि | pos=i |
अगम्यः | अगम्य | pos=a,g=m,c=1,n=s |