शतकत्रयम् — 1.49
Original
Segmented
यद् धात्रा निज-भाल-पट्ट-लिखितम् स्तोकम् महद् वा धनम् तत् प्राप्नोति मरु-स्थले ऽपि नितराम् मेरौ ततो न अधिकम् तद् धीरो भव वित्तवत्सु कृपणाम् वृत्तिम् वृथा सा कृथाः कूपे पश्य पयोनिधि अपि घटो गृह्णाति तुल्यम् जलम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यद् | यद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
धात्रा | धातृ | pos=n,g=m,c=3,n=s |
निज | निज | pos=a,comp=y |
भाल | भाल | pos=n,comp=y |
पट्ट | पट्ट | pos=n,comp=y |
लिखितम् | लिख् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
स्तोकम् | स्तोक | pos=n,g=n,c=1,n=s |
महद् | महत् | pos=a,g=n,c=1,n=s |
वा | वा | pos=i |
धनम् | धन | pos=n,g=n,c=1,n=s |
तत् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
प्राप्नोति | प्राप् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
मरु | मरु | pos=n,comp=y |
स्थले | स्थल | pos=n,g=n,c=7,n=s |
ऽपि | अपि | pos=i |
नितराम् | नितराम् | pos=i |
मेरौ | मेरु | pos=n,g=m,c=7,n=s |
ततो | ततस् | pos=i |
न | न | pos=i |
अधिकम् | अधिक | pos=a,g=n,c=2,n=s |
तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
धीरो | धीर | pos=a,g=m,c=1,n=s |
भव | भू | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
वित्तवत्सु | वित्तवत् | pos=a,g=m,c=7,n=p |
कृपणाम् | कृपण | pos=a,g=f,c=2,n=s |
वृत्तिम् | वृत्ति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
वृथा | वृथा | pos=i |
सा | तद् | pos=n,g=f,c=1,n=s |
कृथाः | कृ | pos=v,p=2,n=s,l=lun_unaug |
कूपे | कूप | pos=n,g=m,c=7,n=s |
पश्य | पश् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
पयोनिधि | पयोनिधि | pos=n,g=m,c=7,n=s |
अपि | अपि | pos=i |
घटो | घट | pos=n,g=m,c=1,n=s |
गृह्णाति | ग्रह् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
तुल्यम् | तुल्य | pos=a,g=n,c=2,n=s |
जलम् | जल | pos=n,g=n,c=2,n=s |