शतकत्रयम् — 1.48
Original
आज्ञा कीर्तिः पालनं ब्राह्मणानां
Segmented
आज्ञा कीर्तिः पालनम् ब्राह्मणानाम् दानम् भोगो मित्र-संरक्षणम् च येषाम् एते षट् गुणाः न प्रवृत्ताः को ऽर्थस् तेषाम् पार्थिव-उपाश्रयेन
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
आज्ञा | आज्ञा | pos=n,g=f,c=1,n=s |
कीर्तिः | कीर्ति | pos=n,g=f,c=1,n=s |
पालनम् | पालन | pos=n,g=n,c=1,n=s |
ब्राह्मणानाम् | ब्राह्मण | pos=n,g=m,c=6,n=p |
दानम् | दान | pos=n,g=n,c=1,n=s |
भोगो | भोग | pos=n,g=m,c=1,n=s |
मित्र | मित्र | pos=n,comp=y |
संरक्षणम् | संरक्षण | pos=n,g=n,c=1,n=s |
च | च | pos=i |
येषाम् | यद् | pos=n,g=m,c=6,n=p |
एते | एतद् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
षट् | षष् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
गुणाः | गुण | pos=n,g=m,c=1,n=p |
न | न | pos=i |
प्रवृत्ताः | प्रवृत् | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
को | क | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽर्थस् | अर्थ | pos=n,g=m,c=1,n=s |
तेषाम् | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=p |
पार्थिव | पार्थिव | pos=n,comp=y |
उपाश्रयेन | उपाश्रय | pos=n,g=m,c=3,n=s |