शतकत्रयम् — 1.4
Original
Segmented
प्रसह्य मणिम् उद्धरेन् मकर-वक्त्र-दंष्ट्र-अन्तरात् समुद्रम् अपि संतरेत् प्रचलत्-ऊर्मि-माला-आकुलम् भुजङ्गम् अपि कोपितम् शिरसि पुष्प-वत् धारयेत् न तु प्रतिनिविष्ट-मूर्ख-जन-चित्तम् आराधयेत्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
प्रसह्य | प्रसह् | pos=vi |
मणिम् | मणि | pos=n,g=m,c=2,n=s |
उद्धरेन् | उद्धृ | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
मकर | मकर | pos=n,comp=y |
वक्त्र | वक्त्र | pos=n,comp=y |
दंष्ट्र | दंष्ट्र | pos=n,comp=y |
अन्तरात् | अन्तर | pos=n,g=n,c=5,n=s |
समुद्रम् | समुद्र | pos=n,g=m,c=2,n=s |
अपि | अपि | pos=i |
संतरेत् | संतृ | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
प्रचलत् | प्रचल् | pos=va,comp=y,f=part |
ऊर्मि | ऊर्मि | pos=n,comp=y |
माला | माला | pos=n,comp=y |
आकुलम् | आकुल | pos=a,g=m,c=2,n=s |
भुजङ्गम् | भुजंग | pos=n,g=m,c=2,n=s |
अपि | अपि | pos=i |
कोपितम् | कोपय् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
शिरसि | शिरस् | pos=n,g=n,c=7,n=s |
पुष्प | पुष्प | pos=n,comp=y |
वत् | वत् | pos=i |
धारयेत् | धारय् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
न | न | pos=i |
तु | तु | pos=i |
प्रतिनिविष्ट | प्रतिनिविष्ट | pos=a,comp=y |
मूर्ख | मूर्ख | pos=a,comp=y |
जन | जन | pos=n,comp=y |
चित्तम् | चित्त | pos=n,g=n,c=2,n=s |
आराधयेत् | आराधय् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |