शतकत्रयम् — 1.22
Original
Segmented
दाक्षिण्यम् स्व-जने दया परिजने शाठ्यम् सदा दुर्जने प्रीतिः साधु-जने नयो नृप-जने विद्वस्-जने च आर्जवम् शौर्यम् शत्रु-जने क्षमा गुरु-जने कान्ता-जने धृः-ता ये च एवम् पुरुषाः कलासु कुशलास् तेष्व् एव लोक-स्थितिः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
दाक्षिण्यम् | दाक्षिण्य | pos=n,g=n,c=1,n=s |
स्व | स्व | pos=a,comp=y |
जने | जन | pos=n,g=m,c=7,n=s |
दया | दया | pos=n,g=f,c=1,n=s |
परिजने | परिजन | pos=n,g=m,c=7,n=s |
शाठ्यम् | शाठ्य | pos=n,g=n,c=1,n=s |
सदा | सदा | pos=i |
दुर्जने | दुर्जन | pos=n,g=m,c=7,n=s |
प्रीतिः | प्रीति | pos=n,g=f,c=1,n=s |
साधु | साधु | pos=a,comp=y |
जने | जन | pos=n,g=m,c=7,n=s |
नयो | नय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
नृप | नृप | pos=n,comp=y |
जने | जन | pos=n,g=m,c=7,n=s |
विद्वस् | विद्वस् | pos=a,comp=y |
जने | जन | pos=n,g=m,c=7,n=s |
च | च | pos=i |
आर्जवम् | आर्जव | pos=n,g=n,c=1,n=s |
शौर्यम् | शौर्य | pos=n,g=n,c=1,n=s |
शत्रु | शत्रु | pos=n,comp=y |
जने | जन | pos=n,g=m,c=7,n=s |
क्षमा | क्षमा | pos=n,g=f,c=1,n=s |
गुरु | गुरु | pos=n,comp=y |
जने | जन | pos=n,g=m,c=7,n=s |
कान्ता | कान्ता | pos=n,comp=y |
जने | जन | pos=n,g=m,c=7,n=s |
धृः | धृष् | pos=va,comp=y,f=part |
ता | ता | pos=n,g=f,c=1,n=s |
ये | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
च | च | pos=i |
एवम् | एवम् | pos=i |
पुरुषाः | पुरुष | pos=n,g=m,c=1,n=p |
कलासु | कला | pos=n,g=f,c=7,n=p |
कुशलास् | कुशल | pos=a,g=m,c=1,n=p |
तेष्व् | तद् | pos=n,g=m,c=7,n=p |
एव | एव | pos=i |
लोक | लोक | pos=n,comp=y |
स्थितिः | स्थिति | pos=n,g=f,c=1,n=s |