शतकत्रयम् — 1.109
Original
Segmented
लज्जा-गुण-ओघ-जननीम् जननीम् इव स्वाम् अत्यन्त-शुद्ध-हृदयाम् अनुवर्तमानाम् तेजस्विनः सुखम् असून् अपि संत्यजन्ति सत्य-व्रत-व्यसनिनः न पुनः प्रतिज्ञाम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
लज्जा | लज्जा | pos=n,comp=y |
गुण | गुण | pos=n,comp=y |
ओघ | ओघ | pos=n,comp=y |
जननीम् | जनन | pos=a,g=f,c=2,n=s |
जननीम् | जननी | pos=n,g=f,c=2,n=s |
इव | इव | pos=i |
स्वाम् | स्व | pos=a,g=f,c=2,n=s |
अत्यन्त | अत्यन्त | pos=a,comp=y |
शुद्ध | शुद्ध | pos=a,comp=y |
हृदयाम् | हृदय | pos=n,g=f,c=2,n=s |
अनुवर्तमानाम् | अनुवृत् | pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part |
तेजस्विनः | तेजस्विन् | pos=a,g=m,c=1,n=p |
सुखम् | सुखम् | pos=i |
असून् | असु | pos=n,g=m,c=2,n=p |
अपि | अपि | pos=i |
संत्यजन्ति | संत्यज् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
सत्य | सत्य | pos=n,comp=y |
व्रत | व्रत | pos=n,comp=y |
व्यसनिनः | व्यसनिन् | pos=a,g=m,c=1,n=p |
न | न | pos=i |
पुनः | पुनर् | pos=i |
प्रतिज्ञाम् | प्रतिज्ञा | pos=n,g=f,c=2,n=s |