सौन्दरनन्दम् — 9.45
Original
Segmented
यथा हि भैषज्य-सुख-अभिकाङ्क्षया भजेत रोगान् न भजेत तत् क्षमम् तथा शरीरे बहु-दुःख-भाजने रमेत मोहाद् विषय-अभिकाङ्क्षया
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यथा | यथा | pos=i |
हि | हि | pos=i |
भैषज्य | भैषज्य | pos=n,comp=y |
सुख | सुख | pos=n,comp=y |
अभिकाङ्क्षया | अभिकाङ्क्षा | pos=n,g=f,c=3,n=s |
भजेत | भज् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
रोगान् | रोग | pos=n,g=m,c=2,n=p |
न | न | pos=i |
भजेत | भज् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
तत् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
क्षमम् | क्षम | pos=a,g=n,c=2,n=s |
तथा | तथा | pos=i |
शरीरे | शरीर | pos=n,g=n,c=7,n=s |
बहु | बहु | pos=a,comp=y |
दुःख | दुःख | pos=n,comp=y |
भाजने | भाजन | pos=n,g=n,c=7,n=s |
रमेत | रम् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
मोहाद् | मोह | pos=n,g=m,c=5,n=s |
विषय | विषय | pos=n,comp=y |
अभिकाङ्क्षया | अभिकाङ्क्षा | pos=n,g=f,c=3,n=s |