Original

यद्य् अन्यया रूपगुणाधिकत्वाद् भर्ता हृतस् ते कुरु बाष्पमोक्षम् ।मनस्विनी रूपवती गुणाध्या हृदि क्षते कात्र हि नाश्रु मुञ्चेत् ॥ ४१ ॥

Segmented

यदी अन्यया रूप-गुण-अधिक-त्वात् भर्त्ता हृतः ते कुरु बाष्प-मोक्षम् मनस्विनी रूपवती गुण-आढ्या हृदि क्षते का अत्र हि ना अश्रु मुञ्चेत्

Analysis

Word Lemma Parse
यदी यदि pos=i
अन्यया अन्य pos=n,g=f,c=3,n=s
रूप रूप pos=n,comp=y
गुण गुण pos=n,comp=y
अधिक अधिक pos=a,comp=y
त्वात् त्व pos=n,g=n,c=5,n=s
भर्त्ता भर्तृ pos=n,g=m,c=1,n=s
हृतः हृ pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
ते त्वद् pos=n,g=,c=6,n=s
कुरु कृ pos=v,p=2,n=s,l=lot
बाष्प बाष्प pos=n,comp=y
मोक्षम् मोक्ष pos=n,g=m,c=2,n=s
मनस्विनी मनस्विन् pos=a,g=f,c=1,n=s
रूपवती रूपवत् pos=a,g=f,c=1,n=s
गुण गुण pos=n,comp=y
आढ्या आढ्य pos=a,g=f,c=1,n=s
हृदि हृद् pos=n,g=n,c=7,n=s
क्षते क्षन् pos=va,g=n,c=7,n=s,f=part
का pos=n,g=f,c=1,n=s
अत्र अत्र pos=i
हि हि pos=i
ना pos=i
अश्रु अश्रु pos=n,g=n,c=2,n=s
मुञ्चेत् मुच् pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin