सौन्दरनन्दम् — 4.30
Original
Segmented
अनुग्रहाय अस्य जनस्य शङ्के गुरुः गृहम् नो भगवान् प्रविष्टः भिक्षाम् अ लब्ध्वा गिरम् आसनम् वा शून्यात् अरण्यात् इव याति भूयः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अनुग्रहाय | अनुग्रह | pos=n,g=m,c=4,n=s |
अस्य | इदम् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
जनस्य | जन | pos=n,g=m,c=6,n=s |
शङ्के | शङ्क् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
गुरुः | गुरु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
गृहम् | गृह | pos=n,g=n,c=2,n=s |
नो | मद् | pos=n,g=,c=6,n=p |
भगवान् | भगवन्त् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
प्रविष्टः | प्रविश् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
भिक्षाम् | भिक्षा | pos=n,g=f,c=2,n=s |
अ | अ | pos=i |
लब्ध्वा | लभ् | pos=vi |
गिरम् | गिर् | pos=n,g=f,c=2,n=s |
आसनम् | आसन | pos=n,g=n,c=2,n=s |
वा | वा | pos=i |
शून्यात् | शून्य | pos=a,g=n,c=5,n=s |
अरण्यात् | अरण्य | pos=n,g=n,c=5,n=s |
इव | इव | pos=i |
याति | या | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
भूयः | भूयस् | pos=i |