सौन्दरनन्दम् — 18.46
Original
Segmented
यथा हि रत्नाकरम् एत्य दुर्मतिः विहाय रत्नानि असतः मणीन् हरेत् अपास्य संबोधि-सुखम् तथा उत्तमम् श्रमम् व्रजेत् काम-सुख-उपलब्धये
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यथा | यथा | pos=i |
हि | हि | pos=i |
रत्नाकरम् | रत्नाकर | pos=n,g=m,c=2,n=s |
एत्य | ए | pos=vi |
दुर्मतिः | दुर्मति | pos=a,g=m,c=1,n=s |
विहाय | विहा | pos=vi |
रत्नानि | रत्न | pos=n,g=n,c=2,n=p |
असतः | असत् | pos=a,g=m,c=2,n=p |
मणीन् | मणि | pos=n,g=m,c=2,n=p |
हरेत् | हृ | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
अपास्य | अपास् | pos=vi |
संबोधि | सम्बोधि | pos=n,comp=y |
सुखम् | सुख | pos=n,g=n,c=2,n=s |
तथा | तथा | pos=i |
उत्तमम् | उत्तम | pos=a,g=m,c=2,n=s |
श्रमम् | श्रम | pos=n,g=m,c=2,n=s |
व्रजेत् | व्रज् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
काम | काम | pos=n,comp=y |
सुख | सुख | pos=n,comp=y |
उपलब्धये | उपलब्धि | pos=n,g=f,c=4,n=s |