Original

व्यापाददोषक्षुभिते तु चित्ते सेव्या अवपक्षोपनयेन मैत्री ।द्वेषात्मनो हि प्रशमाय मैत्री पित्तात्मनः शीत इवोपचराः ॥ ६२ ॥

Segmented

व्यापाद-दोष-क्षुभिते तु चित्ते सेव्या स्व-पक्ष-उपनयेन मैत्री द्वेष-आत्मनः हि प्रशमाय मैत्री पित्त-आत्मनः शीत इव उपचारः

Analysis

Word Lemma Parse
व्यापाद व्यापाद pos=n,comp=y
दोष दोष pos=n,comp=y
क्षुभिते क्षुभ् pos=va,g=n,c=7,n=s,f=part
तु तु pos=i
चित्ते चित्त pos=n,g=n,c=7,n=s
सेव्या सेव् pos=va,g=f,c=1,n=s,f=krtya
स्व स्व pos=a,comp=y
पक्ष पक्ष pos=n,comp=y
उपनयेन उपनय pos=n,g=m,c=3,n=s
मैत्री मैत्री pos=n,g=f,c=1,n=s
द्वेष द्वेष pos=n,comp=y
आत्मनः आत्मन् pos=n,g=m,c=6,n=s
हि हि pos=i
प्रशमाय प्रशम pos=n,g=m,c=4,n=s
मैत्री मैत्री pos=n,g=f,c=1,n=s
पित्त पित्त pos=n,comp=y
आत्मनः आत्मन् pos=n,g=m,c=6,n=s
शीत शीत pos=a,g=m,c=1,n=s
इव इव pos=i
उपचारः उपचार pos=n,g=m,c=1,n=s