Original

नित्योत्सवं तं च निशाम्य लोकं निस्तन्द्रिनिद्रारतिशोकरोगम् ।नन्दो जरामृत्युवशं सदार्तं मेने श्मशानप्रतिमं नृलोकम् ॥ ३४ ॥

Segmented

नित्य-उत्सवम् तम् च निशाम्य लोकम् निस्तन्द्रि-निद्रा-रति-शोक-रोगम् नन्दो जरा-मृत्यु-वशम् सदा आर्तम् मेने श्मशान-प्रतिमम् नृ-लोकम्

Analysis

Word Lemma Parse
नित्य नित्य pos=a,comp=y
उत्सवम् उत्सव pos=n,g=m,c=2,n=s
तम् तद् pos=n,g=m,c=2,n=s
pos=i
निशाम्य निशामय् pos=vi
लोकम् लोक pos=n,g=m,c=2,n=s
निस्तन्द्रि निस्तन्द्र pos=a,comp=y
निद्रा निद्रा pos=n,comp=y
रति रति pos=n,comp=y
शोक शोक pos=n,comp=y
रोगम् रोग pos=n,g=m,c=2,n=s
नन्दो नन्द pos=n,g=m,c=1,n=s
जरा जरा pos=n,comp=y
मृत्यु मृत्यु pos=n,comp=y
वशम् वश pos=n,g=m,c=2,n=s
सदा सदा pos=i
आर्तम् आर्त pos=a,g=m,c=2,n=s
मेने मन् pos=v,p=3,n=s,l=lit
श्मशान श्मशान pos=n,comp=y
प्रतिमम् प्रतिमा pos=n,g=m,c=2,n=s
नृ नृ pos=n,comp=y
लोकम् लोक pos=n,g=m,c=2,n=s