रामायणम् — 7.9.37
Original
Segmented
ततः क्रोधेन तेन एव दशग्रीवः सहानुजः प्राप्स्यामि तपसा कामम् इति कृत्वा अध्यवसाय च आगच्छद् आत्म-सिद्धि-अर्थम् गोकर्णस्य आश्रमम् शुभम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
ततः | ततस् | pos=i |
क्रोधेन | क्रोध | pos=n,g=m,c=3,n=s |
तेन | तद् | pos=n,g=m,c=3,n=s |
एव | एव | pos=i |
दशग्रीवः | दशग्रीव | pos=n,g=m,c=1,n=s |
सहानुजः | सहानुज | pos=a,g=m,c=1,n=s |
प्राप्स्यामि | प्राप् | pos=v,p=1,n=s,l=lrt |
तपसा | तपस् | pos=n,g=n,c=3,n=s |
कामम् | काम | pos=n,g=m,c=2,n=s |
इति | इति | pos=i |
कृत्वा | कृ | pos=vi |
अध्यवसाय | अध्यवसो | pos=vi |
च | च | pos=i |
आगच्छद् | आगम् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
आत्म | आत्मन् | pos=n,comp=y |
सिद्धि | सिद्धि | pos=n,comp=y |
अर्थम् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
गोकर्णस्य | गोकर्ण | pos=n,g=m,c=6,n=s |
आश्रमम् | आश्रम | pos=n,g=m,c=2,n=s |
शुभम् | शुभ | pos=a,g=m,c=2,n=s |